जो भूमिका शरीर में धमनियों का है, वही भूमिका किसी देश या राज्य में परिवहन के साधनों का है। बिना परिवहन साधनों का विकास किये, किसी देश या राज्य का समुचित विकास सम्भव नहीं है। कठिन भौतिक संरचना के कारण भारत-चीन युद्ध के पूर्व तक इस पर्वतीय क्षेत्र में परिवहन के साधनों का विकास अपेक्षाकृत बहुत कम हुआ था। लेकिन युद्ध के बाद सामरिक महत्व को देखते हुए इसके विकास पर अधिकाधिक बल दिया। जाने लगा। राज्य के गठन के बाद इसके विकास में और तीव्रता आई है। राज्य में प्रयुक्त परिवहन साधनों का संक्षिप्त वर्णन अधोलिखित है।
सड़क तंत्र
जटिल भौतिक संरचना के कारण लगभग 40% भू-भाग पर अभी भी सड़कों का विकास न हो पाने के बावजूद राज्य के कुल यातायात में सड़क यातायात का भाग 85% से अधिक है।
राज्य के कुमाऊं मण्डल की अपेक्षा गढ़वाल मण्डल में सड़को की संख्या एवं लम्बाई अधिक है।
राज्य सरकार के आँकड़ों के अनुसार मार्च, 2018 तक राज्य में सभी विभागों के अधीन सड़कों की कुल लम्बाई 46042.82 किमी थीं। इसमें 34425.78 किमी. लोकनिर्माण विभागाधीन, 4094.81 किमी. स्थानीय निकायों के अधीन तथा 7504.967 किमी. सीमा सड़क संगठन, वन व अन्य विभागों के अधीन है।
प्रदेश गठन के समय तक राज्य में राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल संख्या 9 थी, लेकिन अब इनकी संख्या 20 हो गई हैं।
एक महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत हिमालयन हाईवे के नाम से त्यूनी (देहरा.) से लोहाघाट को जोड़ने वाली 659 किमी लम्बी (2 लेन की) सड़क 2005 से ही निर्माणाधीन है।
चारों धामों को जोड़ने वाली 889 किमी. की सड़क को दिसम्बर, 2016 से दो लेन का बनाया जा रहा है।
कुमाऊं (रामनगर) को गढ़वाल (कोटद्वार) से जोड़ने वाला कण्डी मार्ग (माउण्टेन रोड) को अंग्रेजों ने बनवाया था। कार्बेट उद्यान के बीच से गुजरने के कारण यह मार्ग काफी दिनों से बन्द था, लेकिन अब प्रदेश सरकार इसका निर्माण करा रही है।
राज्य से गुजरने वाले प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों को अधोलिखित सारणी में देखें।
सड़कों के निर्माण व संरक्षण में सीमा सड़क संगठन, डी.जी. बी. आर., लोक निर्माण विभाग, वन विभाग, जिला परिषद, एवं नगर पालिकाएं आदि संस्थाएं योगदान करती हैं।
हल्द्वानी में अन्तर्राज्जीय बस अड्डे का निर्माण किया जा रहा है।
सड़क परिवहन के चालकों हेतु देहरादून की तरह हल्द्वानी में भी एक 'चालक प्रशिक्षण केन्द्र' की स्थापना की जा रही है।
सड़क परिवहन
राज्य में यात्री एवं माल यातायात का सबसे प्रमुख साधन सड़क परिवहन हैं। यहाँ की अर्थव्यवस्था अब परिवहन व्यवसाय पर आधारित होने लगी है। यह बहुत तीव्र गति से व्यवसाय का रूप ग्रहण करता जा रहा है।
इस समय प्रदेश के कुल सड़क परिवहन व्यवसाव में 80 प्रतिशत योगदान राज्य के निजी ट्रान्सपोर्टरों के वाहनों का और शेष 20 प्रतिशत सरकारी एवं अन्य प्रान्तों से आने वाले वाहनों का है।
यद्यपि राज्य में राज्य सड़क परिवहन निगम, गढ़वाल मण्डल विकास निगम एवं कुमाऊं मण्डल विकास निगम आदि राजकीय कम्पनियों द्वारा बसों का संचालन किया जाता है, लेकिन इनके बसों की संख्या और संचालन क्षेत्र अपेक्षाकृत बहुत कम f (लगभग 20%) है।
राज्य में सड़क परिवहन के अधिकांश भाग पर गढ़वाल मोटर ऑनर्स यूनियन लि., गढ़वाल मोटर यूजर्स को- आपरेटिव टांसपोर्ट सोसायटी लि., टिहरी गढ़वाल मोटर ऑनर्स यूनियन लिमिटेड, कुमाऊँ मोटर ऑनर्स यूनियन लि. तथा सीमान्त सहकारी संघ आदि निजी कम्पनियों का विस्तार है।
गढ़वाल मोटर ऑनर्स यूनियन लि. एशिया की प्रमुख यातायात कम्पनियों में से एक है। इसकी स्थापना 1941 में कोटद्वार ( पौढ़ी ) में हुई थी। इसका एक कार्यालय ऋषिकेश में भी है।
कुमाऊं मोटर ऑनर्स यूनियन लिमिटेड की स्थापना सन् 1939 में काठगोदाम में हुई थी। इसके कार्यालय रामनगर तथा टनकपुर में हैं।
गढ़वाल मोटर यूजर्स को ऑपरेटिव ट्रांसपोर्ट सोसाइटी लि. की स्थापना 1958 में रामनगर में हुई थी।
रेल पथ
जटिल भौगोलिक परिस्थितियों के कारण यहाँ रेलपथ का विस्तार बहुत कम (344.91 किमी.) हो पाया है। जितना हुआ उसमें से 283.76 किमी. बड़ी लाईन व 61.15 किमी. छोटी लाईन है। राज्य के केवल 6 जिलों (हरिद्वार, देहरादून, पौढ़ी, ऊधमसिंह नगर, नैनीताल और चम्पावत) में रेल लाइने विछाई गई । राज्य में छोटे-बड़े कुल 41 रेल स्टेशन हैं।
6 जिलों में सर्वाधिक रेल ट्रैक वाला जिला हरिद्वार और सबसे कम रेल ट्रैक वाला जिला पौढ़ी गढ़वाल है।
राज्य के प्रमुख रेल-पथ
1. उ.प्र. के मुजफ्फपुर से हरिद्वार के कलसिया, लक्सर तथा रुढ़की होते हुए पुनः उ.प्र. के सहारनपुर को (बड़ी लाइन-उत्तर रेलवे ) ।
2. लक्सर, हरिद्वार, देहरादून मार्ग (बड़ी लाइन-उत्तर रेलवे ) ।
1 जनवरी 1896 को लक्सर जंक्शन को हरिद्वार से जोड़ा गया तथा सन् 1900 मे हरिद्वार से देहरादून को जोड़ा गया। हरिद्वार- देहरादून रेलमार्ग राजाजी नेशनल पार्क के मध्य से होकर गुजरती है। बाद मे हरिद्वार-ऋषिकेश मार्ग का निर्माण किया गया।
3. हरिद्वार-ऋषिकेश मार्ग (बड़ी लाइन-उत्तर रेलवे) ।
4. उ. प्र. के नजीबाबाद (बिजनौर) से कोटद्वार (पौढ़ी) तक (बड़ी लाइन-उत्तर रेलवे ) ।
इस लाइन को 1897 में बिछाया गया था।
5. उ. प्र. के मुरादाबाद से काशीपुर (ऊधमसिंह नगर) से रामनगर (नैनीताल) तक (बड़ी लाइन- पूर्व उत्तर रेलवे)।
(नैनीताल) तक (बड़ी लाइन- पूर्व उत्तर रेलवे )।
यह पथ कुमाऊँ तथा गढ़वाल दोनों के लिए उपयोगी है। कार्बेट पर्यटकों के लिए बहुत उपयोगी है।
6. उ.प्र. के रामपुर से किच्छा (ऊ.सिं.न.) से लालकुँआ (ऊ.सिं.न.) से काठगोदान (नैनीताल) तक (बड़ी लाइन- पूर्व उत्तर रेलवे ) ।
यह राज्य मे बिछाई गई प्रथम रेल लाइन है, जो कि 1884 से सेवारत है।
7. उ. प्र. के बरेली से लालकुँआ (ऊ.सि.न.) से काशीपुर (उ.सि.न.) तक (छोटी लाइन पूर्व उत्तर रेलवे ) ।
8. उ. प्र. के पीलीभीत से खमीटा (उ.सि.न.) से टनकपुर (चम्पावत) तक (छोटी लाइन - पूर्व उत्तर रेलवे ) ।
टनकपुर से बागेश्वर तक निर्माण हेतु प्रस्तावित रेल पथ को मार्च, 2012 में राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिया गया हैं। अतः इसमें आने वाली खर्च का पूरा वहन केन्द्र सरकार करेगी।
निर्माणाधीन मुजफ्फरनगर-रूढ़की रेल पथ हेतु राज्य सरकार 50% वित्त पोषण कर रही है।
ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक रेल पथ का निर्माण कार्य शुरु किया जा चुका है।
रेल परिवहन
देहरादून, रायवाला, ऋषिकेश, हरिद्वार, रूढ़की, काशीपुर, रामनगर, रूद्रपुर, किच्छा, लालकुआ, हल्द्वानी, काठगोदाम तथा टनकपुर आदि राज्य के प्रमुख रेलवे स्टेशन हैं, जिनसे यात्री एवं माल का परिवहन होता है।
काठगोदाम (नैनीताल) और कोटद्वार (पौढ़ी) बड़ी रेललाइनों के टर्मिनल स्टेशन हैं।
टनकपुर (चम्पावत) छोटी रेल लाइन का टर्मिनल स्टेशन है।
मार्च 1900 में स्थापित देहरादून रेलवे स्टेशन उत्तराखण्ड में उत्तर रेलवे को सबसे आखिरी स्टेशन है।
वर्ष 2000 के 'मॉडल स्टेशन', देहरादून रेलवे स्टेशन को साफ-सफाई अच्छी यात्रा सुविधाएं (जैसे आई. वी. आर. एस आदि सुविधाएं प्रदान करने तथा अन्य व्यवस्थाओं के लिए सितम्बर 2003 में I.S.O. का दर्जा प्रदान किया गया। यह दर्जा पाने वाला यह राज्य का पहला स्टेशन है।
देहरादून से देश के विभिन्न स्थानों के लिए संचालित होने वाली ट्रेनों में से एक (जनशताब्दी एक्सप्रेस) को नवम्बर 2004 में अंतर्राष्ट्रीय गुणवत्ता प्रमाण पत्र 1.S.O. 9001-2000' प्राप्त हुआ।
राज्य से चलने वाली कुछ प्रमुख रेलगाड़ियाँ
1. जनशताब्दी एक्सप्रेस (देहरा. नई दिल्ली)
2. गढ़वाल एक्सप्रेस (दिल्ली कोटद्वार)
3. इलाहाबाद से हरिद्वार
4. देहरादून एक्सप्रेस (दून से ब्रान्द्रा)
5. देहरादून- दिल्ली एक्सप्रेस
6. मंसूरी एक्सप्रेस (देहरादून से दिल्ली)
7. देहरादून एक्सप्रेस (देहरादून से हाबड़ा)
8. काठगोदाम- देहरादून एक्सप्रेस
9. लिंक एक्सप्रेस (हरिद्वार जोधपुर)
10. गोरखपुर-देहरादून एक्सप्रेस
11. सम्पूर्ण क्रांति एक्सप्रेस (दिल्ली-काठगोदाम)
12. संगम एक्सप्रेस (इलाहाबाद-देहरादून)
13. कलिंग उत्कल एक्स. (पुरी-हरिद्वार)
14. चेन्नई-देहरादून एक्स.
15. मार्च, 2012 में हरिद्वार से रामनगर हेतु रेल सेवा शुरू हुई।
16. अगस्त, 2018 में दून-काठगोदाम जनशताब्दी ट्रेन शुरू की गई है।
हवाई सेवा
राज्य के प्रमुख हवाई अड्डों को अधोलिखित सारणी में देखें।
नैनीसैनी एयरपोर्ट को एटीआर-72 टाइम के विमानों के परिचालन लायक बनाया गया है।
पंतनगर को कारगो एयरपोर्ट के रूप में विकसित किया गया है।
दून हवाई अड्डे को विस्तारित कर बोईंग और एयरबस उतरने लायक बनाया गया है और देहरादून से कई राज्यों के बीच नियमित वायु सेवा प्रारम्भ की गई है।
गौचर में हेलीकाप्टर सर्विस हेतु हैंगर का निर्माण किया गया है।
राज्य के सभी जिलों तथा प्रामुख पर्यटन स्थलों पर एक एक हेलीपैड का निर्माण किया गया है। इसके अलावा राज्य में सेना के 10 हेलीपैड हैं। ।
नैनीताल व कार्बेट आने वाले पर्यटकों हेतु बाजपुर (ऊ.सि.न.) में छोटे विमानों हेतु एक पोर्ट का निर्माण किया गया है।
राज्य में सर्वप्रथम केदारनाथ के लिए 16 मई 2003 को पवन हंस कम्पनी नामक सरकारी कम्पनी द्वारा हैलीकाप्टर सेवा प्रारम्भ की गई थी, लेकिन वर्तमान में केदारनाथ व बद्रीकाआश्रम के लिए एक दर्जन से अधिक निजी कम्पनियां सेवाएं दे रही हैं।
राज्य में लगभग 27 स्थाई हेली पैड बनाए जा चुके हैं।
जल मार्ग
राज्य में प्रवाहित होने वाली गंगा, यमुना तथा कुछ अन्य नदियों में संचालित छोटी- बड़ी नौकाओं द्वारा स्थानीय तथा आस - पास के क्षेत्रों में आवागमन किया जाता हैं।