उत्तराखण्ड में मुख्य रूप से जौनसारी, थारू, भोटिया, बोक्सा एवं राजी आदि जनजातियां निवास करती है, जिन्हें 1967 में ही अनुसूचित जनजाति घोषित किया गया था। इन 5 जनजातियों के अलावा राज्य में राठी आदि कुछ अन्य जनजातियाँ भी निवास करती हैं लेकिन उनकी आबादी बहुत कम है।
5 जनजातियों में से सर्वाधिक जनसंख्या वाली जनजाति थारू है, जबकि सबसे कम जनसंख्या वाली जनजाति राजी है।
राज्य के विभिन्न जिलों में अनुसूचित जनजातियों के जनसंख्या और उनके प्रतिशत
राज्य में सर्वाधिक और सबसे कम अनुसूचित जनजातियों के आबादी वाले जिले क्रमशः हैं - ऊधमसिंह नगर (1,23,037 ) - और रुद्रप्रयाग (386)।
अनुसूचित जनजातियों के सर्वाधिक जनसंख्या वाले 5 जिले क्रमशः (घटते क्रम में) हैं- ऊधमसिंह नगर, देहरादून, पिथौरागढ़, चमोली एवं नैनीताल।
अनुसूचित जनजातियों के सबसे कम जनसंख्या वाले 5 जिले क्रमशः (बढ़ते क्रम में) हैं- रुद्रप्रयाग, टिहरी गढ़वाल, अल्मोड़ा, चम्पावत व बागेश्वर।
अनुसूचित जनजातियों के सर्वाधिक और सबसे कम प्रतिशत वाले जिले क्रमशः हैं - ऊधमसिंह नगर (7.46%) और टिहरी (0.14%
राज्य में अनुसूचित जनजातियों के सर्वाधिक जनसंख्या म प्रतिशत वाले 4 जिले क्रमशः (घटते क्रम में) हैं - ऊधमसिंह नगर (7.46%), देहरादून ( 6.58%), पिथौरागढ़ ( 4.04% ) और चमोली (3.13% ) |
राज्य में अनुसूचित जनजातियों के सबसे कम प्रतिशत वाले 4 जिले क्रमशः (बढ़ते क्रम में) हैं - टिहरी गढ़वाल (0.14% ), अल्मोड़ा (0.20%), पौढ़ी (0.32% ) एवं हरिद्वार (033%) |
साक्षरता
2011 की जनगणना के अनुसार राज्य की अनुसूचित जनजातियों में औसत साक्षरता 73.9% तथा महिला व पुरुष साक्षरता क्रमशः 83.8 व 62.5% है। अनुसूचित जनजातियों के जिलेवार साक्षरता को अधोलिखित चार्ट में देखें
राज्य में सर्वाधिक व सबसे कम अनुसूचित जनजाति साक्षरता वाले जिले क्रमशः- रुद्रप्रयाग व हरिद्वार हैं।
आरक्षण
राज्य विधानसभा के कुल 70 सीटों में से 2 सीटे अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित है।
अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित दो सीटों में से एक सीट देहरादून (चकरौता) में तथा एक ऊधमसिंह नगर ( नानकमत्ता) में है।
उत्तराखण्ड सरकार ने जुलाई 2001 में एक शासनादेश द्वारा राजकीय सेवाओं, शिक्षण संस्थाओं, सार्वजनिक उद्यमों, निगमों एवं स्वायन्तशासी संस्थाओं में अनुसूचित जनजातियों के लिए 4% सीटों के आरक्षण की व्यवस्था की है।