देहरादून वन संग्रहालय
यह राज्य का सबसे पुराना संग्रहालय है जिसकी स्थापना वन अनुसन्धान केन्द्र देहरादून में 1914 में की गई थी। इसमें अनेक वनोत्पादों के साथ ही 18000 काष्ठ नमूनों का अदभुत संग्रह है।
पं गोविन्द बल्लभ पंत राजकीय संग्रहालय, अल्मोड़ा
राज्य में मौर्य, शुंग, यौधेय, कुषाण व गुप्त राजवंशों के अतिरिक्त स्थानीय कुणिन्द, पौरव व कत्यूरी शासनकाल से सम्बन्धित सांस्कृतिक संपदा के संग्रहण, अनुरक्षण, अभिलेखीकरण, प्रदर्शन व उन पर शोध करने के उद्देश्य से 1979 में इस संग्रहालय की स्थापना की गई। कौसानी स्थित सुमित्रानन्दन पन्त के निजी आवास तथा खूंट (अल्मोड़ा) स्थित पं. गोविन्द बल्लभ पंत के आवास को संग्रहालय से जोड़ा गया है।
यहाँ राज्य की कला, संस्कृति तथा पुरातत्व, आदि की महत्वपूर्ण जानकारी का संग्रहण तो है ही भारतीय इतिहास के विविध कालखण्डों से सम्बन्धित मृण्णमूर्तियों, प्रस्तरमूर्तियों तथा सुवर्ण, रजत, ताम्र व अन्य मिभिन्न धातु के सिक्के भी संग्रहीत किए गए हैं।
जिम कार्बेट नेशनल पार्क म्यूजियम कालाढूंगी
नैनीताल जिले में स्थित इस संग्रहालय में प्रसिद्ध वन्य संरक्षक, पर्यावरण प्रेमी व 'मैन ईटर ऑफ कुमाऊँ जैसी कई पुस्तकों के लेखक जिम कार्बेट तथा अन्य से सम्बन्धित कई सामग्रियाँ रखी हैं।
लोक संस्कृति संग्रहालय, खुटानी ( भीमताल)
नैनीताल जिले में स्थित और राज्य के प्रसिद्ध इतिहासविद् एवं चित्रकार डॉ यशोधर मठपाल द्वारा स्थापित इस संग्रहालय में कुमाउंनी लोक संस्कृति से सम्बन्धित कलाकृतियों व वस्तुओं का संग्रह किया गया है।
हिमालय पुरातत्व एवं नृवंशीय संग्रहालय
गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर (पौढ़ी गढ़वाल) के अधीन वर्ष 1980 में स्थापित यह संग्रहालय मध्य हिमालय की सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण तथा अनुरक्षण कर रहा है।
तितलियों का संग्रहालय
नैनीताल के भीमताल कस्बे में फ्रेडरिक स्मेटा ने तितलियों की दुर्लभ प्रजातियों का संग्रह किया है। उनके संग्रहालय में हिमालय की 550 से अधिक तितलियां हैं। इसके अतिरिक्त लगभग 11,000 शलयों व कीड़ों की प्रजातियां हैं। इस संग्रहालय को उन्होंने अपने आवास से जुड़े 2-3 पृथक कमरों में स्थापित किया है।
मोलाराम चित्र-संग्रहालय, श्रीनगर
पौढ़ी गढ़वाल जिले के श्रीनगर में स्थित इस संग्रहालय में गढ़वाल चित्रकला शैली के जनक मोलाराम के दुर्लभ चित्रों का संग्रह है।
हिमालयन संग्रहालय उत्तरकाशी
नेहरू पर्वतारोहण संस्थान उत्तरकाशी के अन्तर्गत नवम्बर, 1965 को हिमालयन संग्रहालय की स्थापना की गई। संग्रहालय में देवी-देवताओं की मूर्तियां व अनुष्ठान करने वाले उपकरण रखे गए हैं। संग्रहालय में गढ़वाल के पारम्परिक आभूषण, पारम्परिक रसोई के बर्तन (रौंड, पेरड़ा, पाथा, तांभी व कुरही), वाद्य यन्त्र (नगाड़ा, हुडका, रणसिंगा, ढोल आदि) राज्य में पाई जाने वाली वनस्पतियों तथा जन्तुओं (मोनाल, हिमालयी भालू के साथ ही यहाँ हिमालयी तितलियों का संग्रह भी किया गया है। संग्रहालय में पर्वतारोहण तकनीक व उपकरणों को भी संजोकर रखा गया है।
हिमालय संग्रहालय
यह एक अद्यतन संग्रहालय है जिसकी स्थापना सन 2005 में कुमाऊँ वि.वि. के इतिहास विभाग के परिसर में की गई है।
इस संग्रहालय में राज्य के समाज, संस्कृति, राष्ट्रीय आंदोलन, क्षेत्रीय पत्रकारिता, मंदिरों, ताम्रपत्रों, दस्तावेजों और छाया-चित्रों का संग्रह किया गया है।
इसमें महात्मा गाँधी के कुमाऊँ आगमन के छाया चित्रों से लेकर उत्तराखण्ड के प्रथम राजनीतिक बंदी मोहन मेहता, कॉमरेड पीसी जोशी, राम सिंह धौनी, विक्टर मोहन जोशी, श्रीदेव सुमन, नागेन्द्र सकलानी आदि स्वाधीनता सेनानियों के छायाचित्र हैं।
इसके पत्रकारिता गैलरी में 'अल्मोड़ा अखबार ( प्रथम प्रकाशन 1871), गढ़वाल समाचार (1902), 'शक्ति' (1918), स्वाध प्रजा ( 1930 ), समता (1935), कर्मभूमि, तरूण कुमाऊँ, कुमाऊँ कुमुद जैसे अखबारों के छायाचित्र तथा मूल प्रतियाँ दर्शायी गयी हैं। उत्तराखण्ड से प्रकाशित प्रथम दैनिक पत्र 'पर्वतीय' की समस्त फाइलें यहाँ मौजूद हैं।
दस्तावेजों में यहाँ औरंगजेब के राजा फतेहशाह को फरमान से लेकर विभिन्न ब्रिटिशकालीन दस्तावेज हैं।
इस संग्रहालय की पुरातत्व एवं सिक्का गैलरी बहुत समृद्ध है। यहाँ बीरखंभ, आमलक एवं प्रस्तर मूर्तियों का महत्वपूर्ण संग्रह है। मूर्तियों में सूर्य, चर्तुभूजी गणेश, विष्णु-लक्ष्मी, वाराह अवतार, शुंगकालीन - छत्रयुक्त राजा शक्ति प्रतिमा आदि दुलर्भ मूर्तियाँ भी हैं जिनका अनुमानित काल ईस्वी पूर्व दूसरी सदी से लेकर 12वीं-13वीं सदी के बीच है। सिक्कों में कुषाण कालीन स्वर्ण मुद्रा से लेकर मध्यकालीन मुहरें तथा आधुनिक में सिक्के हैं।