उत्तराखंड के उच्च शिक्षा संस्थान एवं विश्वविद्यालय : राज्य गठन से पूर्व तकनीकी तथा सामान्य उच्च शिक्षा के लिए. यहाँ सभी श्रेणियों के कुल 6 वि.वि. ( रुढ़की वि.वि., कुमाऊँ वि.वि., गढ़वाल वि.वि., पंतनगर वि.वि., गुरुकुल कांगड़ी डीम्ड वि.वि. तथा एफ.आर.आई. डीम्ड वि.वि.) तथा इनसे सम्बद्ध 100 से अधिक स्नातक एवं स्नातकोत्तर महाविद्यालय तथा अन्य संस्थान थे। राज्य के ज्यादातर स्नातक एवं स्नातकोत्तर महाविद्यालय कुमाऊँ तथा गढ़वाल विश्वविद्यालय से सम्बद्ध थे। इस समय राज्य में कुल मिलाकर दो दर्जन से अधिक उच्च शिक्षा संस्थान है।
उत्तराखंड के प्रमुख उच्च शिक्षा संस्थान
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रुढ़की
उत्तर भारत में तकनीकी शिक्षा के मामले में सबसे प्रतिष्ठित संस्थान रुढ़की इंजीनियरिंग कॉलेज देश एवं एशिया का सबसे पुराना इंजीनियरिंग कॉलेज है। भारत के औद्योगीकरण तथा गंगा नहर के निर्माण में लगे लोगों को प्रशिक्षण देने के लिए इस संस्थान की स्थापना 1847 में हुई। 1854 से इसका नाम थामसन कालेज ऑफ सिविल इंजीनियरिंग रहा, लेकिन स्वतंत्रता के बाद बदलकर थामस कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग कर दिया गया। 1949 में इसे विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया और इसका नाम रुढ़की विश्वविद्यालय हो गया। इस प्रकार स्वतंत्र भारत का यह पहला तकनीकी विश्वविद्यालय हो गया।
वर्तमान में इस संस्थान के अंतर्गत इंजीनियरिंग एवं आर्किटेक्चर में स्नातक स्तर के दस पाठ्यक्रम और इंजीनियरिंग, आर्किटेक्चर विज्ञान एवं प्रबंधन के क्षेत्रों में शोध स्तर की गतिविधियों के साथ साथ 56 स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम भी संचालित किए जा रहे हैं।
रुड़की के अलावा इसका एक परिसर (पेपर तकनीक वि.) सहारनपुर में भी है। यह भारत का पहला ऐसा संस्थान है जहाँ भूकम्प इंजीनियरिंग का अलग विभाग है, जिसे 1960 में शुरू किया गया। 1995 में शुरू किया गया जल संसाधन विकास प्रशिक्षण केन्द्र भी भारत का अकेला केन्द्र है। 1986 में स्थापित मार्डन शेकटेबल फैसिलिटी भी सिर्फ यहीं है।
इस कालेज को 21 सितम्बर 2001 को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) का दर्जा प्रदान करते हुए इसे देश का 7वां भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बनाया गया।
जी.बी.पन्त कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय
देश के इस प्रथम कृषि वि.वि. की स्थापना 17 नवम्बर 1960 को पंतनगर में नेहरू के कर कमलों द्वारा की गई थी। वर्तमान में यह ऊधमसिंहनगर जिले में आवस्थित है। इसका पूरा नाम गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पन्तनगर है।
इस विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति डॉ. केनेथ एंथोनी पार्कर स्टीवेंसन थे ।
इस विश्वविद्यालय ने देश में हरित क्रान्ति लाने के साथ ही शोध के क्षेत्र में कई उल्लेखनीय कार्य किये हैं।
यह विश्वविद्यालय अब तक अनाज की 215 से अधिक प्रजातियां विकसित कर चुका है।
इस विश्वविद्यालय के अन्तर्गत 10 कॉलेज व एक इंजीनियरिंग कालेज है।
इसे अन्तर्गत 18 वाह्य परिसर हैं, जिनमें से रानीचौरी हिल परिसर का राज्य के कृषि एवं उद्यान विकास में विशेष योगदान है।
वीचन्द्र सिंह गढ़वाली औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय
इस वि.वि. की स्थापना 2011 में भरसार (पौढ़ी) में की गई हैं। ध्यातव्य है कि पहले यह पंतनगर वि.वि. के रानीचौरा, टिहरी परिसर में शुरू किया गया था। 2015 में इसके नाम से पहले वीरचन्द्र सिंह जोड़ा गया ।
गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार
यह देश का अकेला ऐसा विश्वविद्यालय है जो प्राचीन भारतीय विद्याओं के साथ आधुनिक वैज्ञानिक विषयों, प्रबंध, प्रौद्योगिकी तथा कम्प्यूटर में उच्च शिक्षा प्रदान कर रहा है। यहाँ आज भी गुरुकुलीय आश्रम व्यवस्था है जिसके तहत स्नातक शिक्षण काल 15 वर्ष का है। प्रथम 12 वर्ष तक विद्यालय में आश्रम व्यवस्था में रहना पड़ता है। इसके पश्चात् छात्र स्नातक तथा स्नातकोत्तर पाठयक्रम पूर्ण करता है। इसका सम्पूर्ण शिक्षण कार्य 6 संकायों में समाहित है। इसके प्राच्य विद्या संकाय के अन्तर्गत वेद, संस्कृत, दर्शन, प्राचीन भारतीय इतिहास एवं संस्कृति तथा योग की उच्च शिक्षा दी जाती है। इन विषयों में शोध की भी व्यवस्था है।
इस विद्यालय की स्थापना दयानंद सरस्वती के परम शिष्य स्वामी श्रद्धानंद ने 1900 में पंजाब के गुजरांवाला में की थी, लेकिन 2 मार्च 1902 को इसका स्थानान्तरण हरिद्वार के कांगड़ी में कर दिया। 1924 में इसे कांगड़ी गांव से हटाकर (बाढ़ के कारण) कनखल और ज्वालापुर के बीच स्थापित किया गया। 1962 में हीरक जयन्ती के अवसर पर इसे वि.वि. का दर्जा मिला। सन 2002 में यह शताब्दी वर्ष मनाया।
हे. न. ब. गढ़वाल के. विश्वविद्यालय
गढ़वाल विश्वविद्यालय की स्थापना श्रीनगर (पौढ़ीगढ़वाल) में 1973 में हुई थी। अप्रैल,1989 में इसका नाम परिवर्तित कर हेमवती नन्दन बहुगुणा विश्वविद्यालय कर दिया गया था। केन्द्रीय वि.वि. बनने से पहले इस वि.वि. में कल तीन परिसर थे, यथा श्रीनगर मुख्यालय का विरला परिसर, पौढ़ी का डा. गोपाल रेड्डी परिसर तथा टिहरी का स्वामी रामतीर्थ बादशाही थौल परिसर। 15 जन., 2009 को केन्द्रीय वि.वि. बनने के बाद टिहरी स्थित परिसर को इससे अलग कर दिया गया है।
देव सुमन विश्वविद्यालय
अगस्त, 2010 में हे.न.ब. गढ़वाल केन्द्रीय वि.वि. के टिहरी परिसर को अलग कर राज्य वि. विद्यालय बनाते हुए इसका नाम पं. दीन दयाल उपाध्याय उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय रखा गया था। फिर 2012 में इसका नाम श्री देव सुमन वि. वि. कर दिया गया है। इस वि.वि. को बनाने का मुख्य उद्देश्य पूर्व में गढ़वाल वि.वि. से संबद्ध संस्थाओं को सम्बद्धता प्रदान करना है। इस वि.वि. का एक परिसर सेलाकुई में बनाया जाना है।
कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल
वर्ष 1973 में स्थापित कुमाऊँ विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा एवं शोध की एक अग्रणी संस्था है। इसके तीन परिसर नैनीताल, अल्मोड़ा तथा भीमताल (नैनीताल) में स्थित हैं। इससे सम्बद्ध 35 महाविद्यालय तथा संस्थान कुमाऊँ के 6 जनपदों में फैले हुए हैं।
इस महाविद्यालय में 2003-04 से सिस्को नेटवर्किंग व्यावसायिक पाठ्यक्रम प्रारम्भ किया गया है।
देव संस्कृति विश्वविद्यालय
उत्तरांचल विधानसभा ने सर्वसम्मति से 22 मार्च, 2002 को हरिद्वार में देव संस्कृति विश्वविद्यालय स्थापित किये जाने का एक विधेयक पारित किया।
निजी क्षेत्र का यह विश्वविद्यालय शांतिकुंज (हरिद्वार) में स्थापित किया गया है। इसका संचालन वेदमाता गायत्री ट्रस्ट द्वारा किया जाएगा। इस विश्वविद्यालय में 'साधना,' शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वावलम्बन नामक चार संकाय खोले गये हैं।
डॉ. प्रणव पाण्डया इसके कुलाधिपति तथा डॉ. एस. पी. मिश्रा इसके प्रथम वीसी हैं।
हिमगिरि नभ विश्वविद्यालय - मल्टीमीडिया व अन्य सूचना प्रौद्योगिकी उपस्करों द्वारा राज्य में उच्च शिक्षा के प्रचार-प्रसार एवं दूरस्थ इलाकों में इसके प्रोत्साहन के लिये हिमगिरी नभ विश्वविद्यालय की स्थापना अहमदाबाद के तालीम रिसर्च फाउण्डेशन द्वारा की जा रही है।
विश्वविद्यालय का मुख्यालय देहरादून में होगा तथा राज्य के सभी 13 जिलों में इस का अध्ययन केन्द्र स्थापित किया जाएगा।
ईक्फाई विश्वविद्यालय
इन्सटीट्यूट ऑफ फाइनेन्सीएल एनेलाइसीस ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटी (इक्फाई वि.वि.) की स्थापना देहरादून में की जा रही है। प्रारम्भ में इसमें फाइनेन्सियल पाठ्यक्रम चलाये जायेंगे। बाद में अन्य पाठ्यक्रम शुरू किये जायेंगे।
पंतजलि विश्वविद्यालय
राज्य सरकार ने 25 मार्च 2006 को एक प्रस्ताव द्वारा हरिद्वार स्थित पतंजलि योग विद्यापीठ को डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान किया और स्वामी रामदेव को इसका आजीवन कुलाधिपति नामित किया।
स्वामीराम हिमालयन विश्वविद्यालय
महान संत योगी और समाज मध्य) सुधारक डॉ. स्वामी राम की स्मृति में देश-विदेश में फैले उनके शिष्यों द्वारा 1989 में जौलीग्रांट (देहरादून और ऋषिकेश के नामक स्थान पर स्थापित 'हिमालयन इंस्टीट्यूट हॉस्पिटल ट्रस्ट', जिसके अन्तर्गत एक मेडिकल कालेज, एक स्कूल ऑफ नर्सिंग तथा एक ग्राम्य विकास केन्द्र है, को 2007 में डीम्ड वि. वि. का दर्जा दे दिया गया है। इस ट्रस्ट के मेडिकल कॉलेज को उत्तराखण्ड का प्रथम मेडिकल कॉलेज होने का गौरव प्राप्त है। अब यह राज्य का प्रथम मेडिकल विश्वविद्यालय भी हो गया है।
संस्कृत विश्वविद्यालय
राज्य में संस्कृत शिक्षा के प्रोत्साहन के लिए हरिद्वार के रानीपुर झाल के समीप दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर की तर्ज पर विश्व संस्कृत धाम के रूप में इस वि. वि. को विकसित किया जा रहा है। राज्य सरकार ने इसका प्रथम कुलपति बाल स्वरूप ब्रह्मचारी को नियुक्त किया गया था।
तकनीकी विश्वविद्यालय
राज्य में सरकारी एवं गैर सरकारी डिग्री स्तर के प्राविधिक संस्थानों को एक संस्था के अन्तर्गत लाने के उद्देश्य से देहरादून में उत्तराखण्ड तकनीकी वि. वि. की स्थापना की गई है।
आयुर्वेद विश्वविद्यालय
राज्य में आयुर्वेद वि.वि. की स्थापना 2009 में देहरादून में की गई है। वर्तमान में इस वि.वि. के अन्तर्गत 5 आयुर्वेदिक कॉलेज (2 राजकीय + 3 निजी) संचालित है।
चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय
राज्य में सरकारी व गैरसरकारी - मेडिकल कालेजों में एकरूपता लाने व नियंत्रण करने के लिए के चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय की स्थापना देहरादून में की गई है।
उत्तराखण्ड के कुछ प्रमुख प्रतिष्ठित स्कूल/कॉलेज
श्री 'गुरु रामराय एजुकेशन मिशन, देहरादून
शिक्षा के क्षेत्र में राज्य में गुरु रामराय एजुकेशन मिशन का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा में है। इस मिशन की स्थापना 1950 में श्री महन्त इन्दिरेश चरणदास जी ने की थी। सर्वप्रथम 1950 में देहरादून में एक विद्यालय (गुरु रामराय विद्यालय) खोला गया था। इसके बाद अनेक विद्यालय खोले गये। वर्तमान में इस मिशन के कुल 123 विद्यालय हैं, जिनमें से 80 उत्तराखंड में, 28 पंजाब में, 14 उ.प्र. में तथा एक दिल्ली में है।
वर्तमान महन्त श्री देवेन्द्रदास जी द्वारा श्री इन्दिरेश चरणदास मैमोरियल हॉस्पिटल, गुरु रामराय इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी एण्ड साइंस तथा श्री गुरु रामराय मेडिकल कॉलेज, देहरादून की स्थापना की गई।
डी०ए०वी० कालेज
देहरादून में डी.ए.वी. कालेज की स्थापना 1902 में ठाकुर पूर्णसिंह नेगी ने एक संस्कृत विद्यालय के रूप में की थी। इस कॉलेज में उत्तराखण्ड के अनेक ख्याति प्राप्त लोगों ने शिक्षा अर्जित की। जैसे शिक्षाविद् भक्तदर्शन (सांसद एवं केन्द्रीय मंत्री), हेमवती नन्दन बहुगुणा, बी. सी. जोशी (जनरल भारतीय थल सेना), यशवन्त सिंह रावत (1986 में पोलैण्ड में मैराथन दौड़ स्वर्ण पदक विजेता), नित्यानन्द स्वामी (उत्तरांचल के प्रथम मुख्यमंत्री), बछेन्द्रीपाल ( माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला), शिवसागर राम गुलाम (मॉरिशस के राष्ट्रपति), लोकेन्द्र बहादुर चन्द्र (नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री) आदि ।
दून कालेज
देहरादून में इस प्रतिष्ठित कालेज की स्थापना - 1935 में प्रसिद्ध बैरिस्टर और वायसराय की काउंसिल के सदस्य सतीश रंजन दास द्वारा अच्छी शिक्षा और अंग्रेजी के विकास के लिए की गई थी। यह भारत का प्रथम पंजीकृत स्कूल है।
सेन्ट जोजफ एकेडमी
1934 में देहरादून में स्थापित इस प्रतिष्ठित एकेडमी से भारत को अब तक कुल तीन नौसेनाध्यक्ष (सुशील) कुमार, विष्णुभागवत व विजय सिंह शेखावत) मिल चुके हैं।