उत्तराखंड में प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा व्यवस्था - नई व्यवस्था के तहत प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा के देख रेख के लिए ब्लाक स्तर पर (सबसे निचला स्तर) शिक्षा अधिकारी (बेसिक) (Basic Education Officer) एवं शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक) (Secondary Education Officer) की व्यवस्था है। जिला स्तर (District Level) पर एक जिला शिक्षा अधिकारी (District Education Officer) और उसके अधीन अपर शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक) और अपर शिक्षा अधिकारी (बेसिक) (Basic Education Officer) की व्यवस्था की गई है। जबकि मण्डल स्तर पर अपर शिक्षा निदेशक और राज्य स्तर पर शिक्षा निदेशक की व्यवस्था है।
राज्य के ऊधमसिंहनगर में एक जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) तथा रुद्रप्रयाग, बागेश्वर एवं चम्पावत में 3 लघु जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (मिनी डायट) की स्थापना की गयी। इसके अलावा एक राज्य शैक्षिक योजना एवं प्रशिक्षण संस्थान (सीमेट) की भी स्थापना की गयी है।
राज्य में विद्यालय पूर्व शिक्षा के लिए प्रारम्भिक शिशु देखभाल एवं शिक्षा केन्द्रों (आंगनबाड़ी) की स्थापना की गई है।
सरकार द्वारा संचालित प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा कार्यक्रम व योजनायें
स्कूल चलो अभियान
राज्य में 1 जुलाई 2001 से संचालित इस अभियान का मुख्य उद्देश्य सभी को शिक्षा और सभी को ज्ञान है।" इस अभियान के मुख्य लक्ष्यों में 6-14 वर्ष के बच्चों का शत प्रतिशत नामांकन बच्चों का विद्यालय में शत्रपर्यन्त शत प्रतिशत ठहराव, बालिकाओं तथा एस. सी. / एस.टी. शिक्षा पर विशेष बल, जनसमुदाय की भागीदारी तथा 2010 तक कक्षा 1 - 8 तक की शिक्षा का सार्वजनीकरण करना है ।
विशेष छात्रवृत्ति योजना
पूर्व सैनिकों के बच्चों के लिए शुरू की गई इस योजना में हाईस्कूल तथा इंटरमीडिएट में 80% अंक पाने वाले बच्चों को क्रमश: 12000 व 15000 रुपये की वार्षिक छात्रवृत्ति देने की व्यवस्था है। स्नातक के लिए यह राशि 18000 होगी।
शिक्षा आचार्य योजना
राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही इस योजना का उद्देश्य राज्य के सभी बच्चों को आधारभूत शिक्षा प्रदान करना है। इसके अन्तर्गत कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों को निःशुल्क पुस्तकें दी जाती हैं।
दिव्यांग विद्यालय
दिव्यांग को आत्मनिर्भर बनाते हुए समाज के मुख्य धारा से जोड़ने के लिए राज्य में 13 दिव्यांग विद्यालयों की स्थापना की गई है, जहाँ उन्हें व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाता है।
काल्प
कम्प्यूटर की और कम्प्यूटर से शिक्षा देने हेतु कम्प्यूटर एडेड लर्निंग कार्यक्रम (काल्प) संचालित है।
ई-क्लास योजना
इसके तहत कक्षा 9 से 12 तक के विद्यार्थियों को विज्ञान एवं गणित की पढ़ाई मल्टीमीडिया सी.डी. द्वारा की जाने की व्यवस्था है।
कम्प्यूटर शिक्षा
राज्य के समस्त उच्च विद्यालयों (हाईस्कूलों) तथा माध्यमिक विद्यालयों में अनिवार्य कम्प्यूटर शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से यह परियोजना चलाई जा रही है। छात्रों की व संख्या के आधार पर प्रति विद्यालय 3 से 8 तक कम्प्यूटर सेट उपलब्ध कराए जाते हैं।
प्रोजेक्ट शिक्षा
माइक्रोसाफ्ट कार्पोरेशन लि. के सहयोग से राज्य में शुरू की गई इस शिक्षा का उद्देश्य आगामी तीन वर्षों में राज्य के 3.5 लाख विद्यार्थियों और 80 हजार शिक्षकों को कम्प्यूटर साक्षर बनाना है। इसका मुख्यालय देहरादून में है।
राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान
केन्द्र के सहयोग से प्रदेश के 750 विद्यालयों में संचालित इस अभियान के 'उन्नति' कार्यक्रम के तहत कक्षा 9 व 10 में अध्यनरत छात्रों को अंग्रेजी भाषा में दक्ष करने, उनमें आत्म-विश्वास की वृद्धि करने और व्यक्तित्व विकास हेतु कदम उठाए जा रहे हैं।
आरोही परियोजना
यह परियोजना अध्यापकों तथा विद्यार्थियों को कम्प्यूटर में प्रशिक्षण देने के लिए मई 2002 में शुरू की गई। इस परियोजना के तहत राज्य के 1650 विद्यालयों तथा 9 डायटों में कम्प्यूटर लैब स्थापित किये गए हैं। इस कार्यक्रम में माइक्रोसाफ्ट और इंटेल से सहयोग लिया जा रहा है।
इस योजना के लिए लगभग 9 हजार कम्प्यूटर उपलब्ध कराये गये हैं। इससे 23 हजार से अधिक शिक्षक तथा 3 लाख छात्र प्रतिवर्ष प्रशिक्षित होंगे।
शिक्षकों के प्रशिक्षण हेतु देहरादून में माइक्रोसाफ्ट अकादमी की स्थापना की गई है।
राजीवगांधी नवोदय विद्यालय
राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों के - प्रतिभाशाली बच्चों (कक्षा 6 से 12 तक) को उत्कृष्ट आवासीय शिक्षा निःशुल्क उपलब्ध कराने के लिए प्रत्येक जिले में एक-एक राजीव गांधी नवोदय विद्यालयों की स्थापना की गई है। इसमें 75 प्रतिशत स्थान ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों के लिए तथा 50 प्रतिशत स्थान बालिकाओं के लिए आरक्षित है।
राजीव गांधी अभिनव आवासीय विद्यालय
प्रदेश के दुर्गम एवं दूरस्थ क्षेत्रों के प्रतिभावान बालक/बालिकाओं को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने हेतु कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों की तर्ज पर राज्य के चार जिलों (नैनी, पिथौ, पौढ़ी व चमो.) में एक-एक राजीव गांधी अभिनव आवासीय विद्यालय की स्थापना की गई हैं। ।
श्यामा प्रसाद मुखर्जी अभिनव वि.
राजीव गाँधी नवोदन 1 विद्यालयों की तरह यह विद्यालय भी पूर्णतः राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित और उसी तरह निःशुल्क आवासीय है। वर्तमान में राज्य के 5 जिलों में ऐसे वि. हैं ।
शिक्षा बंधु योजना
ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में शिक्षकों की कमी को दूर करने तथा शिक्षितों को रोजगार देने के उद्देश्य से ग्राम शिक्षा समिति के द्वारा प्राथमिक स्कूलों में मानदेय वेतन (13 हजार रु.) पर शिक्षामित्र (शिक्षाबंधु) नियुक्त करने सम्बंधी योजना चलाई जा रही है।
मिड-डे मील योजना
प्राथमिक शिक्षा में शत-प्रतिशत नामांकन, ठहराव और लिंग भेद को समाप्त करने के लिए मिड-डे मील योजना संचालित की जा रही है। इस योजना के अन्तर्गत सभी सरकारी तथा सरकारी सहायता से चल रहे स्कूलों में पहली से 8वी कक्षा तक कें बच्चों को प्रतिदिन निःशुल्क दोपहर का खाना दिया जाता है।
कस्तूरबा गांधी आवा. वा. वि. योजना
SC/ST शिक्षा में पिछड़े हुए राज्य के 12 जिलों में 28 कस्तूरबा गांधी विद्यालयों की स्थापना की गयी है। केन्द्र सरकार पोषित इन विद्यालयों में SC/ST छात्राओं को निःशुल्क आवासीय शिक्षा दी जाती
देवभूमि मुस्कान योजना
2009 में शुरू की गई यह योजना समाज के वंचित वर्ग के छात्रों को उत्कृष्ट शिक्षा दिलाने के लिए शुरू की गई है। इस योजना के तहत निःशुल्क शिक्षा दी जाती है। खनन कार्य से जुड़े लोगों के बच्चे भी इस योजना में सम्मिलित हैं। इसके लिए राज्य में कुल 41 शिक्षा केन्द्र चिन्हित हैं।
आदर्श स्कूल
शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने, आकर्षण परिवेश व शैक्षिक उपकरणों को बेहतर बनाने हेतु राज्य के प्रत्येक विकासखण्ड में माध्यमिक स्तर के 2-2 विद्यालयों को आदर्श विद्यालय के रूप में विकसित किया गया है।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम
केन्द्रीय शिक्षा अधिकार अधिनियम, 2009 के प्रावधानों के अनुसार राज्य सरकार द्वारा कई कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। यथा-बच्चों को निःशुल्क यूनीफार्म, असहायता प्राप्त विद्यालयों को बच्चों के शुल्क की प्रति पूर्ति व छात्रवृत्ति आदि ।