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उत्तराखंड में फिल्मों और नाट्य कला का इतिहास | Uttarakhand Theater Film History

गढ़वाली कुमाऊंनी बोली में सिनेमा का इतिहास 1983 के फिल्म जग्वाल (गढ़वाली में) से शुरू होता है। 1983 से अब तक गढ़वाली और कुमाऊंनी बोली की सैकड़ों फिल्में प्रदर्शित हुई हैं। सिनेमाघरों में दर्शकों की संख्या घटते जाने के कारण वीडियो फिल्में ज्यादा बनाई जा रही हैं। कुछ प्रमुख फिल्में इस प्रकार हैं -



जग्वाल – गढ़वाली भाषा में



राज्य की प्रथम फिल्म जग्वाल थी, जिसके निर्माता पारेश्वर गौड़ हैं। नायक पारेश्वर गौड़ व रमेश मैन्दोलिया और नायिका कुसुम बिष्ट हैं।



घरजवैं – गढ़वाली भाषा में


विश्वेश्वर दत्त नौटियाल द्वारा निर्मित घरजवै एक गढ़वाली फिल्म है। यह 1985 में बनी और दिल्ली के संगम सिनेमाहाल में लगातार 29 सप्ताह (सर्वाधिक) चली। यह सर्वाधिक सफल गढ़वाली फिल्म रही। इसमें अभिनेता बलराज नेगी और अभिनेत्री शान्ति चतुर्वेदी हैं।



निर्माता/निर्देशक अनुज जोशी निर्मित तेरी सौं फिल्म उत्तराखंड आंदोलन पर केन्द्रित गढ़वाली है।


2007 में अमर शहीद श्रीदेव सुमन पर एक गढ़वाली फिल्म बनी थी। 


चालदा जातरा जौनसारी क्षेत्र की डॉक्यूमेंट्ररी फिल्म है।


मेघा आ – कुमाऊनी भाषा में



मेघा आ कुमाऊँनी बोली की प्रथम फिल्म है। 


रामलील


रामलीला उत्तरांचल के प्रायः सभी क्षेत्रों में रामलीला का - आयोजन होता है। कुछ क्षेत्रों में इसका आयोजन दशहरे के अवसर पर होता है तो कुछ क्षेत्रों में खरीफ की फसल कटने के उपरांत कूर्मांचलीय रामलीला मूलतः अल्मोड़ा शैली की रामलीला मानी जाती है।


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