उत्तराखंड की अधिकांश नदियों का प्रवाह दक्षिण या दक्षिण-पूर्व दिशा में है। यद्यपि राज्य की सभी नदियां गंगा तंत्र की अंग हैं, लेकिन यदि केवल राज्य के सन्दर्भ में देखें तो यहाँ छोटी-बड़ी कई नदी-तंत्र हैं, जिनमें से मुख्य हैं - गंगा तंत्र, यमुना तंत्र तथा काली तंत्र ।
उत्तराखंड राज्य में नदीं तंत्र
नदीं तंत्र/उपतंत्र
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सहायक नदियाँ
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यमुना तंत्र
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हनुमानगंगा, कृष्णागाड, भद्रीगाड, कमलगाड, टोंस, गिरी, आसन आदि
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गंगातंत्र
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भगीरथी, अलकनन्दा, नयार (नादगंगा), सोंग, चन्द्रभागा, रतमऊ, सोलानी, बाणगंगा आदि।
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गंगा की उपतंत्र भगीरथी
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रूद्रगंगा, मिलुन गंगा, केदारगंगा, जान्ही या जाड़गंगा, सियागंगा, भिलंगना आदि।
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गंगा की उपतंत्र-अलकनंदा
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लक्ष्मणगंगा, सरस्वती, विष्णु गंगा (प. धौलीगंगा), बालखिल्य, विरहीगंगा (विरथी), पातालगंगा, गरूणगंगा, नंदाकिनी, पिंडर, मंदाकिनी, कंचनगंगा, धीरगंगा, कवनगंगा, अमृतगंगा, सोनधारा आदि।
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गंगा की उपतंत्र-नयार
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पश्चमी एवं पूर्वी नयार।
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काली (शारदा) तंत्र
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कुठीयांग्टी, पूर्वी धौलीगंगा, गौरीगंगा, सरयू, लोहावती, लधिया आदि।
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काली की उपतंत्र-कुठीयांगटी
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संगचुम्ना, निकुर्ट, थुमका आदि।
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काली की उपतंत्र -पू. धौली गंगा
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लिस्सर (दारमा), नानदारमा, सेलायांग्टी, कंचुतिच आदि
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काली की उपतंत्र-गोरी गंगा
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शुनकल्पा या रामल, रमलगाड, मदकानी, गोन्खागाड आदि।
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काली की उपतंत्र सरयू
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गोमती, पू. रामगंगा, पनार आदि।
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कुछ प्रमुख नदी बेसिनों का क्षेत्रफल
नदी
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बेसिन का क्षेत्र. (वर्गकिमी.)
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काली (शारदा)
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11,467
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अलकनन्दा
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10,951
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भगीरथी
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7,880
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कोसी
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6,753
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रामगंगा
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6,205
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यमुना
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2,404
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टोंस
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2,390
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नयार
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1,921
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राज्य के प्रमुख नदियों की राज्य में लम्बाई
नदी
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उद्गम
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कहाँ तक
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लम्बाई (किमी.)
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टौंस
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रूपिन सुप हिममद
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डाक पत्थर (देहरादून)
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148
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यमुना
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यमुनोत्री
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धालीपुर (देहरादून)
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136
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भागीरथी
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गोमुख
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देवप्रयाग
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205
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भिलंगना
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खतलिंग हिमनद
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पु. टिहरी
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110
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अलकनन्दा
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सतोपंथ हिमनद
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देवप्रयाग
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195
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विष्णु गंगा या धौलीगंगा
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देववन हिमानी
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विष्णु प्रयाग
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94
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पिंडर
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पिण्डारी हिमनद
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कर्णप्रयाग
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105
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मंदाकिनी
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केदारनाथ
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रुद्रप्रयाग
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72
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नंदाकिनी
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नन्दा घुंघटी
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नन्दप्रयाग
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56
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गंगा
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देवप्रयाग
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हरिद्वार सीमा
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96
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पू. नयार
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दूधातोली
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सतपुली
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109
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प. नयार
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दूधातोली
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सतपुली
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78
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पं. रामगंगा ( रथवाहिनी)
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दूधातोली
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कालागढ़
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155
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कोसी
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कौसानी
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सुल्तानपुर
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168
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गौलानदी
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पहाड़पानी
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किच्छा
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102
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कालीनदी
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लिपुलेख
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टकनपुर
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250
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सरयू
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सरमूल
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पंचेश्वर
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146
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पू. रामगंगा
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पोटिंग हिमनद
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रामेश्वर
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108
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गोरीगंगा
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मिलम
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जौलजीवी
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104
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उत्तराखंड राज्य की प्रमुख नदियां और नदी तंत्र
भागीरथी, अलकनन्दा, नन्दाकिनी, पिण्डर, मन्दाकिनी, भिलंगना, काली, पूर्वी रामगंगा, यमुना, टोन्स आदि नदियां महान हिमालय से निकली हैं।
पश्चिमी रामगंगा, नयार, खोह, सरयू, गोमती, कोसी, गौला, पनार, लधिया आदि नदियां मध्य हिमालय से निकली हैं।
बेगुल, निहाल, सौंग, रिस्पना, नन्धौर भाकरा, ढेला, मालिन आदि नदियां बाह्य हिमालय (शिवालिक) व दून से निकली हैं।
यमुना तंत्र
यमुना नदी उत्तरकाशी के बंदरपूंछ पर्वत के द-पश्चिमी ढाल पर स्थित यमुनोत्री हिमनद के यमुनोत्री कांठा नामक स्थान से निकलती है। उत्तरकाशी व देहरादून में बहते हुए यह राज्य से बाहर निकल जाती है। हनुमानगंगा, कृष्णागाड, बनाड़गाड, कमलगाड, खुतनुगाड, बरनीगाड, भद्रीगाड, मुगरागाड, गडोलीगाड, पुज्यारगाड, दर्भ टोन्स, आसन आदि इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ हैं।
यमुना की सबसे प्रमुख सहायक नदी टोंस नदी है, जो कि यमुना से ढाई गुना अधिक जल लाती है। यह उत्तरकाशी स्थित बंदरपुंछ पर्वत के उत्तरी ढाल के स्वर्गारोहिणी ग्लैशियर से निकलने वाली सूपिन नदी व हिमाचल प्रदेश के डोडरा क्वार क्षेत्र से आनेवाली रूपिन नदी मिलने से बनी है, जो कि कुछ दूरी तक तमसा के नाम से भी जानी जाती है। उत्तराखण्ड व हिमाचल के बार्डर पर 148 किमी बहने के बाद यह कालसी व डाकपत्थर के बीच यमुना में मिल जाती है।
टोंस (तमसा) से मिलने के बाद यमुना देहरादून अर्थात् उत्तराखण्ड और हिमाचल प्रदेश के बार्डर बनाते हुए आगे बढ़ती है।
टोंस के बाद देहरादून के रामपुर मण्डी के पास बायीं ओर से आसन नदी मिलती है। आसन आशारोड़ी-देहरामार्ग के पश्चिम से निकली है। इसके बाद धालीपुर के पास यमुना राज्य से बाहर हो जाती है।
यमुनोत्री से धालीपुर तक अर्थात् उत्तराखण्ड में यमुना की लम्बाई 136 किमी. है, जबकि यमुनोत्री से इलाहाबाद तक कुल लं. 1384 किमी. हैं।
गंगातंत्र ( यमुनातंत्र से पूर्व )
उत्तराखण्ड में गंगा नदी को गंगा के नाम से देवप्रयाग के बाद जाना जाता है, जबकि गंगोत्री से देवप्रयाग तक इसे भागीरथी के नाम से जाना जाता है।
देवप्रयाग में भागीरथी और अलकनन्दा मिलकर जब गंगा के नाम से आगे बढ़ती है तो पौढ़ी के व्यासघाट के पास फुलचट्टी नामक स्थान पर बायीं ओर से नयार (नादगंगा) नदी मिलती है- आगे बढ़ने पर देहरादून के ऋषिकेश में दायीं ओर से चन्द्रभागा नदी और फिर आगे बढ़ने पर दायीं ओर से रायवाला के पास सोंग नदी मिलती है।
सौंग दून घाटी की एक प्रमुख नदी है। सिसवा, वाल्दी, विद्यालना- रौं आदि इसकी प्रमुख सहायक हैं। देहरादून नगर के मध्य से प्रवाहित रिस्पना व विन्दाल नदियां सिसवा की सहायक हैं।
हरिद्वार जिले में गंगा में रतमऊ तथा सोलानी नदियां मिलती हैं।
देवप्रयाग से हरिद्वार की सीमा तक अर्थात् राज्य में गंगा की लम्बाई 96 किमी है।
भागीरथी उपतंत्र
भागीरथी नदी उत्तरकाशी जिले के सुदूर उत्तर-पू. में स्थित गंगोत्री कस्बे से 19 किमी. दूर स्थित शिवलिंग शिखर से सटे गंगोत्री हिमनद के गोमुख नामक स्थान से निकलती है।
गोमुख से टिहरी डैम तक भागीरथी में छोटी-बड़ी 20 से अधिक नदियां मिली हैं। गंगोत्री के एकदम समीप रूद्रगंगा फिर जान्ह्वी या जाड़गंगा, केदारनाथ, असीमगंगा, मिलुनगंगा, सियागंगा आदि नदियां मिलती हैं। ध्यातव्य है कि रूद्रगंगा रूद्रगेरा हिमनद से निकली है। जाडगंगा थामला दर्रे के पास स्थित हिमनद से निकली हैं। और भैरोघाटी में भागीरथी में मिली है। केदारगंगा केदारताल से निकली है। असीमगंगा डोडीताल के पास से निकलकर गंगोरी के निकट भागीरथी से मिलती है। सियागंगा झाला के पास भागीरथी में मिलती है।
गणेश-प्रयाग अर्थात् पुराना टिहरी शहर, जो कि अब डैम में डूब चुका है, में भागीरथी से भिलंगना नदी मिलती है। भिलंगना खतलिंग गलेशियर (टिहरी) से निकलती है। मेदगंगा, दूधगंगा, धर्मगंगा व बालगंगा (बालखिला) नदियां भिलंगना की सहायक हैं।
देवप्रयाग में भागीरथी में अलकनन्दा नदी मिलती है, जो कि अपेक्षाकृत अधिक जल लाती हैं।
गंगोत्री से देवप्रयाग तक भागीरथी की लम्बाई 205 किमी. है।
अलकनन्दा उपतंत्र
अलकनन्दा (प्राचीन नाम विष्णु गंगा) चमोली के उत्तरी भाग में स्थित सतोपंथ शिखर के अलकापुरी बांक हिमनद और सतोपंथ ताल (क्षी सागर) से होते हुए 195 किमी की यात्रा के बाद देव-प्रयाग में भागीरथी नदी में मिल जाती हैं। सरस्वती, ऋषिगंगा II, पश्चिमी धौलीगंगा, विरथी, नबालिका, लक्ष्मणगंगा, नंदाकिनी, पिंडर व मंदाकिनी आदि नदियां इसकी सहायक हैं। जल प्रवाह की दृष्टि से राज्य की प्रमुख नदी है।
अलकनंदा में सर्वप्रथम लक्ष्मण गंगा या हेमगंगा या पुष्पावती नदी मिलती है। आगे बढ़ने पर बदरीनाथ से उत्तर-पश्चिम में स्थित केशव-प्रयाग (चमोली) में सरस्वती नदी मिलती हैं। सरस्वती कामेट चोटी के रत्ताकोना नामक स्थान पर स्थित देवताल से निकलती है।
विष्णु-प्रयाग (चमोली) में अलकनन्दा में पश्चिमी धौलीगंगा मिलती है। ध्यातव्य है कि पश्चिमी धौलीगंगा का उद्गम स्थल नीति क्षेत्र में स्थित धौलागिरि की कुनगुल श्रेणी है। ऋषिगंगा I, गणेशगंगा, कियोगाढ़, गिरथी आदि प. धौलीगंगा की सहायक नदियां हैं। विष्णु प्रयाग तक अलकनन्दा को विष्णुगंगा नाम से भी जाना जाता है।
विष्णु प्रयाग से नीचे व नन्द प्रयाग से ऊपर अलकनन्दा में बालखिल्य (उद्गम तुंगनाथ-रूद्रनाथ), विरहीगंगा (विरथी), पातालगंगा व गरूड़गंगा आदि नदियां मिलती हैं।
नन्द-प्रयाग ( चमोली) में इससे नन्दाकिनी नदी मिलती है, जो कि त्रिशुल पर्वत के पास स्थित 'नंदा घुंघटी' से निकली है।
कर्ण-प्रयाग (चमोली) में अलकनन्दा में पिण्डर (कर्णगंगा) नदी मिलती है, जो कि बागेश्वर में स्थित पिंडारी ग्लेशियर से निकली है। आटागाड़ इसकी प्रमुख सहायक है। इसकी गति बहुत तेज है।
रुद्र-प्रयाग ( रुद्र-प्रयाग) में इसमें मंदाकिनी नदी मिलती हैं, जो कि केदारनाथ के पास स्थित मंदराचल श्रेणी व हिमनद से निकली है। मंदाकिनी की अनेक सहायक नदिया हैं, जिनमें से एक मधुगंगा है जो कि मंदाकिनी से कालीमठ के पास मिली है।
देव-प्रयाग (टिहरी) में अलकनन्दा (बहु ) भागीरथी (सास) में मिल जाती है।
उल्लेखनीय है कि वसुधारा, कंचनगंगा, क्षीरगंगा, रूद्रगंगा (भ्यूंडार गंगा), अमृतगंगा, सोनधारा आदि भी अलकनंदा की सहायक नदियां हैं, जो कि अलकनन्दा में भिन्न-भिन्न स्थानों पर मिलती हैं।
नयार उपतंत्र
देवप्रयाग के बाद पौढ़ी के ब्यासघाट के पास स्थित फूलचट्टी नामक स्थान पर गंगा में बायी ओर से नयार नदी मिलती है। ध्यातव्य है कि नयार (नादगंगा) नदी दो नदियों (पूर्वी व पश्चिमी नयार) के सतपुली के पास मिलने से बनी है। उल्लेखनीय है कि पूर्वी नयार दूधातोली के दक्षिणी पश्चिमी जखमोलीधार श्रेणी से स्यूंसी (कैन्यूर) गाड के नाम से निकली है, जबकि पश्चिमी नयार दूधातोली के उत्तरी-पश्चिमी ढाल से स्योली गाड व ढाईज्यूलीगाड नामक दो शाखाओं के रूप में निकली है।
पश्चिमी रामगंगा (रथवाहिनी) तंत्र (गंगा तंत्र से - पूर्व )
यह नदी पौढ़ी, चमोली तथा अल्मोड़ा में फैले दूधातोली श्रेणी के पूर्वी ढाल से निकली है। चमोली, अल्मोड़ा तथा पौढ़ी में 155 किमी. बहने के बाद यह राज्य से बाहर (पौढ़ी के कालागढ़ नामक स्थान पर) निकल जाती हैं। उ.प्र. में कन्नौज के पास गंगा में मिल जाती है।
बिरमा, गागस, बिनो आदि इसकी सहायक नदियां हैं।
कोसी (कोसिला)
यह नदी कौसानी (बागेश्वर) के पहाड़ियों पर स्थित धारपानीधार से निकलती है और रामगंगा के ठीक पूर्व उसके समानान्तर अल्मोड़ा, नैनीताल व ऊ.सि.नि. में 168 किमी बहने के बाद ऊ.सि.न. के सुल्तानपुर स्थान पर राज्य से बाहर निकल जाती हैं। रामनगर से यह मैदान में प्रवेश करती है। उ.प्र. में यह रामगंगा में मिल जाती है। कुमांऊ में इसके घाटी को धान का कटोरा कहा जाता है। देवगाड, मिनोलगाड, सुमालीगाड आदि इसकी सहायक नदियां हैं।
दाबका नदी
कोसी से ठीक पूर्व में प्रवाहित यह नदी नैनीताल के गरमपानी नामक स्थान के पश्चिम से निकलकर नैनीताल तथा ऊ.सि.न. में बहते हुए, बाजपुर (ऊ.सि.न.) के पास राज्य से बाहर हो जाती है।
बाकरा नदी
दाबका के पूर्व और उसके समान्तर बहने वाली यह नदी भी नैनीताल से निकलती है। नैनीताल तथा ऊ.सि.न. में बहने के बाद खानपुर (ऊ.सि.न.) के पास राज्य के बाहर हो जाती हैं।
गौला (गार्गी) नदी
बाकरा नदी के पूर्व और उसके समान्तर बहने वाली यह नदी नैनीताल के पहाड़पानी नामक स्थान से निकलकर नैनीताल तथा ऊ.सि.न. में 102 किमी. बहने के बाद किच्छा (ऊ.सि.न.) के पास राज्य से बाहर हो जाती है।
देओहा नदी
गौला नदी के पूर्व और उसके समान्तर बहने वाली यह नदी भी नैनीताल से निकलकर ऊ.सि.न. में बहते हुए राज्य से बाहर हो जाती है।
नंधौर नदी
नैनीताल के चोरगल्लिया के पास देओहा नदी - से निकलकर यह नदी नानकसागर (नैनीताल तथा ऊ.सि. नगर के बार्डर पर स्थित) में समाहित हो जाती हैं।
नंधौर के पूर्व में दो और छोटी-छोटी नदिया नामक सागर में मिली है।
काली (शारदा) तंत्र ( सबसे पूर्वी नदी तंत्र )
यह नदी पिथौरागढ़ के सुदूर उत्तर में तिब्बत बार्डर के पास स्थित जैक्सर श्रेणी के पूर्वी ढाल पर लिपुलेख के पास स्थित कालापानी ( व्यास आश्रम) नामक स्थान से निकली है। स्थानीय भाषा में इसे कालापानी गाड या कालीगंगा कहा जाता है। यह नदी काकागिरी पर्वत के समानान्तर तथा भारत नेपाल का बार्डर बनाते हुए बहती हैं। पिथौरागढ़ के बाद यह चम्पावत में प्रवेश करती हैं और टकनपुर (चम्पावत ) के निकट स्थित पूर्णागिरि तीर्थ के पास बरमदेव मंडी के बाद से शारदा नदी के नाम से नेपाल में प्रवेश कर जाती है। स्कन्दपुराण में इसे श्यामा नदी कहा गया है और इसके जल को पवित्र नहीं कहा गया है। कुठीयांग्टी, पूर्वी धौलीगंगा, गौरीगंगा, सरयू, लोहावती व लधिया आदि इसकी सहायक नदियां हैं। कालापानी से टकनपुर तक इसकी लम्बाई 252 किमी. है।
कुठीयांग्टी उपतंत्र
यह काली की प्रारम्भिक सहायक नदी है, जो कि जैक्सर श्रेणी के पश्चिमी ढाल से निकली है। संगचुम्ना, निकुर्ट तथा थुमका कुठियांग्टी की सहायक नदियां है।
पूर्वी धौलीगंगा उपतंत्र
कुठीयांग्टी के बाद काली में दायीं ओर से स्यालपंथ के पास खेला नामक स्थान पर पू. धौलीगंगा नदी मिलती है। यहज गोवानखना हिमनद से निकली है। लिस्सर ( दारमा), नानदारमा, सेलायांग्टी एवं कंचुतिच आदि पू. धौली गंगा की सहायक नदियां है।
गोरीगंगा उपतंत्र
पू. धौली गंगा के बाद जौलजीवी (पिथौरागढ़) नामक स्थान पर कालीगंगा में दायीं ओर से गोरी गंगा नदी मिलती है, जिसका उद्गम मल्ला जोहार क्षेत्र में स्थित मिलम हिमनद है। प्रारम्भ में इसकी दो शाखाएं (गोरीगंगा व शुनकल्पा या रामल) हैं। रमलगाड, मदकानी, गोन्खागाड आदि गोरीगंगा की सहायक नदियाँ हैं |
सरयू उपतंत्र
काली नदी को सबसे अधिक जलराशि देने वाली कुमाऊं की पवित्रतम नदी सरयू बागेश्वर के द.प. में स्थित सरमूल (झुण्डी) नामक स्थान से निकली है। बैजनाथ तीर्थ व बागेश्वर नगर इसके तट पर हैं। पिथौरागढ़ - अल्मोड़ा तथा पिथौ चम्पावत का बार्डर बनाते हुए 146 किमी प्रवाहित होने के बाद पंचेश्वर से 40 किमी. नीचे यह काली नदी में दायीं ओर से मिल जाती है। यह पं. से पू. को बहती है।
सरयू की प्रथम सहायक नदी गोमती है, जो बागेश्वर में सरयू में मिल जाती है। ध्यातव्य है कि गोमती बागेश्वर स्थित डेबरा श्रेणी से निकली है।
काकरीघाट में सरयू से पनार नदी मिलती है।
काकरीघाट से मात्र 3 किमी पूर्व स्थित रामेश्वर तीर्थ (पिथौ.) के पास सरयू में पू. रामगंगा नदी मिलती है, जो कि पिथौरागढ़ के पोटिंग तथा नामिक हिमनद से निकली हैं। पू. रामगंगा की लम्बाई 108 किमी. है।
भुजपत्रीगाड, गरगतिया, कालापानीगाड, बेरल गाड आदि पू. रामगंगा की सहायक नदियाँ हैं।
लधिया नदी
उत्तराखण्ड की यह अंतिम नदी है, जो काली नदी में मिलती (दायीं ओर से) हैं। काली में यह चूका (चम्पावत) के पास मिलती है। यह पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है।
लधिया पिथौरागढ़, अल्मोड़ा व नैनीताल के मिलन बिन्दु, गजार से निकली है।