देहरादून
देहरादून
नगर बाहा एवं मध्य
हिमालय के बीच स्थित
दून घाटी में बसा
हैं। इसका आकार दोने (द्रोण) जैसा है।
1817 में इसे जिला बनाकर मेरठ मण्डल के अन्तर्गत सम्मिलित किया गया था। 1975 से यह गढ़वाल
मण्डल में है। यहां
की नगरपालिका के 9 दिसम्बर 1998 को उच्चीकृत कर नगर निगम बनाया गया।
- वैदिक साहित्य के अनुसार आर्यों से पूर्व इस भूमि पर असुर जाति के लोग रहते थे।
- मान्यता है कि महाभारत काल में यहाँ (वर्तमान टपकेश्वर के पास) आचार्य द्रोण का आश्रम था। इसी कारण इस घाटी को द्रोण घाटी के नाम से जाना जाता है।
- 1699 में
पंजाब से आये गुरु
रामराय ने यहाँ एक
गुरुद्वारा बनवाया था जो कि
आज नगर के केन्द्र
है। शायद गुरु रामराय
द्वारा
- यहां डेरा डालने के कारण इसका नाम डेरादून पड़ा। जो कालान्तर में देहरादून के नाम से विख्यात हो गया।
- कुछ लोगों का मानना है कि गुरु रामराय द्वारा यहां देह त्यागने के कारण इसका नाम देहरादून पड़ा।
- इतिहासकार इससे पूर्व का इस स्थान का नाम पृथ्वीपुर बताते
- 804 तक यह क्षेत्र गढ़वाल नरेशों के अधीन, 1804 से 1815 तक गोरखा शासकों के अधीन तथा 1815 से स्वतंत्रता तक ब्रिटिश शासकों के अधीन रहा।
देहरादून जिले के प्रमुख स्थल अधोलिखित हैं।
गुच्चूपानी - देहरादून से करीब 8 किमी.
दूर पहाड़ों से आच्छादित 'रोबस
गुफाएं' (केब) हैं जो
'गुच्चूपानी' के नाम से
विख्यात है। इन गुफाओं
को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन
मानचित्र पर विशेष स्थान
दिया गया है।
श्री गुरु रामराय दरबार साहिब - देहरादून नगर
के संस्थापक और उदासीन परम्परा
के गुर रामराय ने
सन् 1699 में धामावाला में झण्डा दरबार ( गुरूद्वारा ) की
स्थापना की। तत्कालीन मुगलशैली
में निर्मित इस भवन को
सन् 1707 में उनकी पत्नी
माता पंजाब कौर द्वारा भव्यरूप
में निर्मित किया गया।
टपकेश्वर महादेव - शहर से
लगभग 6 1 पश्चिम में एक किमी
दूर दक्षिण छोटी नदी के
तट पर यह शिव
मन्दिर स्थित है। जहां शिवरात्रि
के दिन बड़ा मेला
लगता है। गुफा में
स्थित यह मन्दिर • प्राकृतिक
शिल्प का अनूठा उदाहरण
है। यहाँ निरन्तर जल
टपकता रहता है।
चन्द्रबनी- महर्षि गौतम ने इस
स्थान में अपनी सहधर्मिणी
अहिल्या एवं पुत्री अंजनी
के साथ लगभग 12 वर्ष
तक कठिन तपस्या की
थी। यहाँ गौतमकुण्ड है,
जिसमें लोग पवित्र स्नान
करते हैं।
भागीरथी रिसोर्ट्स – देहरादून से
लगभग 19 किमी. की दूरी पर
देहरादून-चकराता मार्ग पर सेलाकुई के
पास स्थित यह एक पिकनिक
स्थल है।
फन वैली- देहरादून
से 25 किमी. दूर हरिद्वार मार्ग
पर 20 एकड़ क्षेत्र में
फैला यह एक मनोरंजन
पार्क है। यहां पर
गो-कार्टिंग, वॉटरस्लाइडिंग, सबसे बड़ा लहर
तालाब और 20 रोमांचकारी खेल आकर्षण के
केन्द्र हैं।
मालसी डियर पार्क -
यह शहर से 10 किमी दूर मसूरी
मार्ग पर स्थित है।
यहां लोगों के मनोरंजन के
लिए हिरन व पक्षियों
आदि वन्य जीवों वाला
जंतु उद्यान है।
राजाजी राष्ट्रीय पार्क - 820.42 वर्ग
किलोमीटर क्षेत्र में फैला यह
वन्यजीव अभयारण वर्ष 1983 में तीन वन्य
जीव विहारों मोतीचूर, चीला एवं राजाजी
को मिलाकर बनाया गया था। इसका
नाम भारत के अन्तिम
गवर्नर जनरल चक्रवर्ती सी.
राजगोपालाचर्य के नाम पर
रखा गया है।
सहस्रधारा - गंधक
युक्त जल वाला यह
प्राकृतिक स्थल पर्यटकों के
लिए आकर्षण का केन्द्र है।
अनेक समूहों में धाराएं बहने
के कारण इस स्थल
को सहस्रधारा के नाम से
जाना जाता है। यह
देहरादून से 14 किमी. दूर बाल्दी नदी
तट पर है।
टाइगर प्रपात - यह चकराता से 5 किमी. की
दूरी पर है।
चार सिद्ध- दत्तात्रेय
भगवान के 84 सिद्धों में से 4 सिद्धों
के स्थान देहरादून में हैं। जो
इस प्रकार हैं
लक्ष्मण सिद्ध - यह मंदिर देहरादून
से पूरब 11 किमी. की दूरी पर
जंगल में है। वैसे
तो यहां प्रत्येक रविवार
को भीड़ लगती है,
लेकिन अप्रैल के अंतिम रविवार
को विशेष मेला लगता है।
कालू
सिद्ध - यह स्थल भानियावाला
से 4 किमी. की दूरी पर
स्थित है। यहाँ लोग
पुत्र हेतु मंगत मांगते
है।
माणक
सिद्ध - यह स्थल देहरादून
से पश्चिम की ओर भुड्डी
गांव के पास स्थित
है। यहां प्रत्येक रविवार
को भीड़ लगती है।
मॉडू सिद्ध – यह स्थल भी देहरादून से पश्चिम प्रेमनगर के पास स्थित है।
जौनसार बावर- देहरादून का यह जनजातीय क्षेत्र शहर से उत्तर-पश्चिम में स्थित है। कालसी, चकराता व त्यूनी तहसीले इसी क्षेत्र के अन्तर्गत हैं। सामान्यतः यह क्षेत्र यमुना और टौंस नदियों के मध्य में स्थित है।
इस क्षेत्र के प्रमुख स्थल इस प्रकार हैं
कालसी - यह जौनसार बावर क्षेत्र के
दक्षिणी भाग में यमुना
के किनारे स्थित है। यहाँ की
प्रसिद्ध चित्रशिला पर पालि भाषा
में अशोक के लेख
उत्कीर्ण हैं। इस लेख
में ब्राह्मी लिपि का प्रयोग
किया गया है।
लाखमण्डल - यह
स्थान देहरादून से 125 किमी तथा चकराता
से 62 किमी दूर यमुना
और रिखनाड़ नदी संगम पर
स्थित है। लोगों का
मानना है महाभारत काल
में लाक्षागृह यही बनाया गया
था।
लाखा
मण्डल- मूर्तियों का भंडार है (एक
मान्यता यह भी है
कि लाख मूर्तियों के
कारण लाखामण्डल नाम पड़ा)।
यहां उत्तराखण्ड शैली का शिव
मंदिर दर्शनीय है। इस मंदिर
के शिवलिंग पर जल डालने
पर अपना प्रतिबिम्ब देखा
जा सकता है।
बैराटगढ़ - यह
स्थल चकराता से 15-16 किमी. दूर चौराणी चोटी
पर स्थित है। यहाँ कुछ
खंडहर पड़े हुए है।
कहा जाता है कि
यहाँ महाभारत काल में पुलिन्द
राजा विराट की राजधानी थी।
विराट की ही पुत्री
उत्तरा से अर्जुन पुत्र
अभिमन्यु का विवाह हुआ
था।
हनोल – यह
चकरात से 110 किमी दूर टोंस
के किनारे है। यहां जौनसार
बावर लोगों का सबसे बड़ा
तीर्थस्थल है। यहाँ महासू
देवताओं का सबसे बड़ा
मंदिर है।
• मंदिर के अंदर चांदी के चादर पर चारो महासू व माता देवलाड़ी के चित्र बनाये गये है। बाहर 'छारिया', अंगारिया आदि अनेक देवों की मूर्तियां हैं।
रामताल गार्डन - यह
सुन्दर पिकनिक स्पाट चकराता से 9 किमी. दूर है।
काणासर- ऊँचे पर्वतों व
घने जंगलों से युक्त यह
पर्यटन स्थल चकराता से
26 किमी दूर है।
देववन- यह
लोकप्रिय पिकनिक स्पाट चकराता से 16 किमी.
की दूरी पर स्थित
है |
'पर्वतों की रानी' मसूरी 2005 मी. की ऊंचाई पर लगभग 65 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला मसूरी, हिन्दुस्तान के सबसे पुराने हिल स्टेशनों में एक है। मसूरी शहर के असली संस्थापक ईस्ट इण्डिया कम्पनी की बंगाल आर्मी में काम करने वाले आयरिश अफसर कैप्टन यंग आदि थे। कैप्टन यंग ने मसरी की खोज 1825 में की और अंग्रेजों ने यहां की भूमि को टिहरी नरेश सुदर्श शाह से 80 वर्ष के लिए पट्टे पर लिया था। 1827 में यहाँ की पहली इमारत मलिंगार होटल बनीं थी। 1832 में भारत के सर्वेयर जनरल कर्नलएवरेस्ट ने यहाँ सर्वेक्षण कार्यालय स्थापित किया था।
चीन
अधिकृत तिब्बत से निर्वासित होने
के बाद वर्ष 1959 में
तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा सबसे
पहले मसूरी ही आए थे।
यही तिब्बत की पहली निर्वासित
सरकार बनी थी। बाद
में वे हिमाचलप्रदेश के धर्मशाला के पास मैक्लोडगंज स्थानांतरित
हो गए।
यह नगर देहरादून
से 35 किमी की दूरी पर स्थित है। यह उत्तर पूर्व हिमालयन पर्वत श्रृंखलाओं के आश्चर्यजनक
दृश्य को प्रस्तुत करता है। मसूरी अपने प्राकृतिक सौन्दर्य, प्रफुल्ल सामाजिक जीवन
एवं मनोरंजन के लिए प्रसिद्ध है। मसूरी गंगोत्री एवं यमुनोत्री के मन्दिरों का प्रवेश द्वार है। यहाँ की सबसे
ऊँची चोटी गनहिल पहाड़ी है। यहां के दर्शनीय स्थलों में कैम्पटीफाल, मैसी फाल, चकराताफाल,
भट्टाफाल, हार्डीफाल केमल्स बैक, म्यूनिसिपल गार्डन, सरजार्ज एवरेस्ट हाउस, नाग टिब्बा,
तोप टिब्बा, धनोल्टी, नागदेवता मंदिर, सुरकंदा देवी मंदिर, ज्वालाजी मंदिर, तिब्बती
स्तूप, हैपी बैली, बेनोग हिल, आब्जरवेटरी, क्वेल सेंचुरी, क्लाउडएंड, वन चेतना केन्द्र,
लंढोर बाजार और
कुलड़ी बाजार प्रसिद्ध हैं।
भद्राज मन्दिर- यह मंदिर मसूरी से 15 किमी दूर स्थित
है। मन्दिर, भगवान कृष्ण के अग्रज भगवान बलभद्र को समर्पित है। 2. ज्वालाजी मंदिर ज्वालाजी
मंदिर मसूरी से 9 किमी की दूरी पर पश्चिम दिशा में 2104 मीटर की ऊंचाई पर बिनोंग पहाड़ी
पर स्थित है।
कैमल बैंक- यह स्थल सूर्यास्त का मनोहर दृश्य प्रस्तुत
करता है। उस समय यह एक बैठे हुए ऊँट के समान प्रतीत होता है।
गन हिल ( तोप टिब्बा) -
मसूरी से गन हिल तक रोपवे
द्वारा रोमांचकारी चढ़ाई का आनन्द प्राप्त किया जा सकता है। ग हिल की समुद्र तल से
ऊँचाई 2122 मीटर है। यह स्थल मसूरी में लाल टिब्बा
के बाद दूसरी सबसे ऊँची चोटी है।
सुरकुंडा देवी - सुरकुन्डा देवी का मन्दिर मसूरी से 33 किमी. दूर 3030 मीटर की ऊँचाई पर कद्दूखाल नामक ग्राम के निकट है। मन्दिर एक पर्वत के शिखर पर स्थित है। इस मंदिर का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है।
मसूरी झील-
मसूरी- देहरादून मार्ग पर
स्थित यह एक - नवीनतम विकसित पिकनिक स्थल है।\
कैम्पटी फॉल-
यमुनोत्री मार्ग पर मसूरी
से 15 किमी की दूरी पर (टिहरी में) मसूरी की सौन्दर्यपूर्ण वादियों में स्थित कैम्पटी
फाल (50 फुट की ऊंचाई से) सर्वाधिक मनोहर एवं विशाल जल T प्रपात है।
ऋषिकेश:-
यह देहरादून का एक उप-नगर है, जो कि हरिद्वार से 24 किमी उत्तर देहरादून, पौढी व टिहरी के बार्डर पर गंगा एवं र चन्द्रभागा नदी संगम पर स्थित है। प्राचीनकाल से ही यह नगरी ऋषि-मुनिओं की तपस्थली और आध्यात्मिक चेतना का केंद्र रही है।
- धार्मिक ग्रंथों के अनुसार रैभ्य मुनी द्वारा इस स्थान पर इंद्रियों को जीतकर ईश्वर को प्राप्त किया गया, इसलिए इस स्थान का नाम हृषिकेश (इंद्रियों का स्वामी-विष्णु) पड़ा। उच्चारण दोष के कारण अब इसे ऋषिकेश नाम से जाना जाता है।
- केदारखंड पुराण के अनुसार ब्रह्मकुंड के बाद कुब्जाभ्रक ही तीर्थ क्षेत्र प्रारम्भ होता है, जो वर्तमान का ऋषिकेश है ऐसी मान्यता है ल कि आम के बगीचों की अधिकता के कारण इस स्थान को कुब्जाभ्रककहा जाने लगा।
- माना जाता है कि भगवान विष्णु ने मधु-कैटभ दैत्य का वध गंगा नदी के दाहिने तट पर स्थित ऋषिकेश में ही किया था।
- कश्मीर का राजा ललितादित्य मुक्तापीठ ने यहाँ अनेक मंदिरों का निर्माण कराया था।
देहरादून के प्रमुख दर्शनीय स्थल इस प्रकार हैं
तपोवन - ऋषिकेश के उत्तरी छोर पर लक्ष्मण झूला
के पास टिहरी जिले में स्थित इस स्थान पर लक्ष्मण जी ने तपस्या की थी।
लक्ष्मण झूला
- बद्रीनाथ केदारनाथ के
प्राचीन मार्ग पर ऋषिकेश से 5 किमी उत्तर गंगा नदी पर निर्मित यह 140 मी. लम्बा झूला
पुल एक उपयुक्त भ्रमण स्थल है। यहाँ लक्ष्मण जी का एक मंदिर भी है। यह स्थान टिहरी
जिले में आता है।
त्रिवेणी घाट -
यह एक स्नान घाट है जो प्रतिदिन
सायंकाल के समय गंगा तट पर होने वाली गो आरती से प्रतिध्वनित होता है।
नीलकंठ महादेव -
नीलकंठ शिव मंदिर गंगा नदी
के किनारे लक्ष्मण झूला से 8 किमी. दूर एक
पहाड़ी पर (पौढ़ी में) स्थित है। यहां शंभु निशंभु पर्वत हैं।
भरत मंदिर -
भरत मंदिर ऋषिकेश का सबसे
पुराना मंदिर है। यह त्रिवेणी घाट के पास स्थित है।
कैलाश निकेतन
मंदिर - लक्ष्मण झूला पर स्थित यह महत्वपूर्ण मंदिर है। यहाँ 13 मंजिली भवन सभी देवी-देवताओं
की मूर्तियां देखी जा सकती हैं। यह स्थान पौड़ी जिले में है।
शिवानंद झूला
- राम झूला के नाम से भी
प्रसिद्ध यह झूला पुल स्वर्गाश्रम के निकट गंगा नदी पर निर्मित है। 8. शत्रुघन मंदिर-
यह प्राचीन मंदिर भगवान के भाई शत्रुघन को समर्पित है। यह ऋषिकेश से 5 किमी की दूरी
पर स्थित है। 9. शिवानंद आश्रम - इसकी स्थापना स्वामी शिवानंद द्वारा की गई थी। यह
प्रसिद्ध आध्यात्मिक केन्द्र है।
मुनि की रेती -
ऋषिकेश के उत्तरी छोर पर
टिहरी जिले में यह स्थान गंगा के दायीं ओर स्थित है। इसके सामने गंगा के बायें ओर पौढ़ी
में स्वार्गाश्रम, गीताश्रम, गीता भवन (गीता प्रेस का) तथा भूतनाथ का मंदिर आदि है।
84 कुटिया
- ऋषिकेश के पौढी भाग में
स्वर्गाश्रम के निकट महर्षि महर्षियोगी द्वारा भावातीत ध्यान हेतु इस केन्द्र (शंकराचार्य)
नगर) की स्थापना 1967 में की गई थी, यहाँ विदेशी लोग ध्यान करने आया करते थे। 1985
से यह केन्द्र बन्द रहा है। राज्य सरकार की पहल पर 8 दिसम्बर 2015 से इसे खोल दिया
गया है। लगभग डेढ वर्ग किमी क्षेत्र में फैले इस क्षेत्र में प्रवेश हेतु शुल्क लगाया
गया है।
शिवपुरी – यह पर्यटन केन्द्र ऋषिकेश से 15 किमी.
उत्तर टिहरी में गंगा के किनारे स्थित है। यह स्थल रिवर रॉफिंटंग आदि के लिए प्रसिद्ध
है ।
FAQ 1 :देहरादून कहाँ स्थित है ?
देहरादून उत्तराखण्ड में स्थित है
FAQ 2 :देहरादून से मसूरी कितनी दूर स्थित है?
देहरादून से मसूरी 35 किलोमीटर स्थित है