उत्तराखण्ड राज्य निर्माण आन्दोलन महत्त्वपूर्ण नोट्स
उत्तराखण्ड राज्य निर्माण आन्दोलन महत्त्वपूर्ण नोट्स
- उत्तरांचल पृथक राज्य की मांग सर्वप्रथम उठाई गयी :- 1938 में
- 1938 में देवसुमन ने दिल्ली में पृथक राज्य की मांग को लेकर गढ़देश सेवा का गठन किया, जिसका नाम बाद में हो गया -
हिमालय सेवा संघ
- हिमाचल और उत्तरांचल को मिलाकर एक वृहद् हिमालयी राज्य बनाने के उद्देश्य से पर्वतीय विकास जन समिति नामक संगठन का गठन किया गया - 1950
- 1967 में रामनगर में पृथक राज्य हेतु पर्वतीय राज्य परिषद का गठन किसकी अध्यक्षता में किया गया :- दया कृष्ण पाण्डेय
- प्रताप सिंह नेगी व नरेंद्र सिंह बिष्ट को शामिल करते हुए 'पर्वतीय राज्य परिषद' का पुनर्गठन कर 'पृथक पर्वतीय राज्य 'परिवद गठित किया गया:- 1973 में
- 1970 में कम्यूनिष्टो द्वारा पृथक राज्य हेतु गठित किया गया :- कुमाऊँ राष्ट्रीय मोर्चा
- 1972 में नैनीताल में गठित उत्तरांचल परिषद के कार्यकर्ताओं ने दिल्ली स्थित वोट क्लब पर धरना दिया और नारा दिया :- दिल्ली चलो
- पृथक राज्य हेतु 1976 में उत्तराखण्ड युवा परिषद का गठन किया गया। इस परिषद के सदस्यों ने संसद के घेराव का प्रयास किया :-1978 में
- 8 पर्वतीय जिलों की मिलाकर एक राज्य गठित करने के उद्देश्य से डॉ. देवीदत्त पंत की अध्यक्षता में मंसूरी में उत्तराखण्ड क्रांति दल का जन्म हुआ :- 25 जुला. 1979 को
- उत्तराखण्ड क्रांति दल के किस सदस्य ने अप्रैल 1987 में संसद में पत्र बम फेंका था :- त्रिवेन्द्र पवार ने
- भाजपा के शोबन सिंह जीना की अध्यक्षता में उत्तरांचल उत्थान परिषद का गठन किया गया :- 30-31 मई 1988 को
- पृथक राज्य आन्दोलन से सम्बंधित सभी संगठनों को मिलाकर 'उत्तरांचल संयुक्त संघर्ष समिति का गठन द्वारिका प्रसाद उनियाल के नेतृत्व में किया गया - 11-12 जन. 1989 को
- 1990 में उत्तराखण्ड क्रांति दल के विधायक के रूप में उ.प्र. विधानसभा में उत्तराखण्ड राज्य से सम्बंधित प्रथम प्रस्ताव किसने रखा :- जसवंत सिंह बिष्ट ने
- पृथक उत्तराखण्ड राज्य को सर्वप्रथम किस राष्ट्रीय पार्टी ने अपने घोषणापत्र में शामिल किया :- भाजपा ने
- बामपंथी लोगों द्वारा 1991 में गठित किया गया:- उत्तरखण्ड मुक्ति मोर्चा
- जुलाई, 1992 में उक्रांद ने पृथक राज्य के सम्बंध में एक महत्वपूर्ण दस्तावेज जारी किया तथा गैरसैंण को प्रस्तावित राज्य की राजधानी घोषित किया गया। इस दस्तावेज को कहा जाता है :- उक्रांद का पहला ब्लू प्रिंट
- 21 जुलाई, 1992 को काशी सिंह एरी ने गैरसैंण में प्रस्तावित राजधानी की नींव डाली व उसका नाम रखा – चंद्रनगर
- 1993 में मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने राज्य की संरचना और राजधानी पर विचार करने के लिए गठित की थी -कौशिक समिति की
- कौशिक समिति ने अपनी रिपोर्ट (1994) में कहाँ राजधानी बनाने की सिफारिश की :- गैरसैंण में
- जून, 1994 में मुलायम सिंह यादव सरकार द्वारा सरकारी नौकरियों में 50% सीटें आरक्षित घोषित करने के बाद पौढ़ी के वयोवृद्ध नेता इंद्रमणि बडोनी (उत्तराखण्ड के गांधी) ने किया :- आमरण अनशन
- 1 सितम्बर, 1994 के खमीटा गोलीकांड को, जिसमें कि लगभग 25 लोग मारे गये थे, उत्तराखण्ड के इतिहास में जाना जाता है :- काला दिवस के रूप में
- 2 अक्टूबर, 1994 को दिल्ली में होने वाले रैली में भाग लेने जाते समय रामपुर तिरोहे (मुजफ्फनगर) पर उ.प्र. पुलिस द्वारा काला दिवस के रूप में राज्य आंदोलनकारियों व महिलाओं के साथ अमानुषिक व्यवहार किया गया। 6 लोग शहीद हो गये। इस घटना को कहा गया :- क्रूरशासक की क्रूर साजिश
- लाल किले की प्राचीर से किस प्रधानमंत्री ने सर्वप्रथम उत्तराखंड के गठन की घोषणा की? - एच. डी. देवगौड़ा (15-8-1996 को)
- केन्द्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा उ.प्र. पुनर्गठन विधेयक 2000' 27
जुलाई, 2000 को लोकसभा में प्रस्तुत किया गया। इसे 1 अगस्त, 2000 को लोक सभा द्वारा तथा 10 अगस्त 2000 को राज्यसभा द्वारा पारित किया गया। इस विधेयक को राष्ट्रपति के.आर. नारायणन ने 28 अगस्त को अपनी मंजूरी दी और 9 नवम्बर, 2000 को उत्तरांचल का गठन किया है। दिसम्बर, 2006 में इसका नाम बदलकर कर दिया गया :- उत्तराखण्ड
- राजधानी विवाद पर विराम लगाते हुए 3 नव. 2012 को मुख्यमंत्री बहुगुणा ने गैरसैंण में मंत्रिपरिषद की बैठक आयोजित की और विधानसभा भवन बनाने का निर्णय लिया।
- 14 जन, 2013 को मुख्यमंत्री बहुगुणा ने भराणीसैंण में प्रस्तावित द्वितीय विधानसभा हेतु गैरसैंण में औपचारिक शिलान्यास किया, जबकि 9 नव. 2013 को भराणीसैंण में भूमि पूजन कर भवन निर्माण शुरू कराया।
- उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर व महाराष्ट्र में भी दो-दो विधानसभा भवन हैं।