उत्तराखंड में वास्तविक रूप से पर्वतारोहण का शौक पैदा करने में मुख्य भूमिका दूंन स्कूल देहरादून के मार्टिन गिब्सन एवम होल्डसवर्थ जैसे प्रसिद्ध पर्वतारोही शिक्षकों ने निभाई ये शिक्षक नन्दू जुयाल व उसके साथियों को बन्दरपूँछ शिखर पर साथ ले गए थे,राज्य में पर्वतारोहण एवम पथारोहण को नियमित ढंग से चलाने के लिए 1965 में उत्तरकाशी में नेहरू पर्वतारोहण सन्स्थान की स्थापना की गई ,1972 में राज्य में पर्वतीय विकास विभाग का गठन किया गया ,इस विभाग के तहत गठित दोनों मण्डलों के विकास निगम पर्वतारोहण तथा पथारोहण के प्रचार प्रसार की दिशा में उल्लेखनीय कार्य कर रहे हैं, उत्तराखंड राज्य में कई प्रमुख पर्वतारोही हैं जिनका विवरण निम्न प्रकार से किया जाता है।
उत्तराखंड के प्रमुख पर्वतारोही
1. जे. सी. जोशी
2. बछेन्द्रीपाल
3. हर्षमणि नौटियाल
4. चन्द्रप्रभा ऐतवाल
5. सुमन कुटियाल
6. लवराज सिंह धर्मसक्तू
7. चंचल सिंह
8. मोहन सिंह गुंज्याल
9. हरीश चन्द्र सिंह रावत
10. हर्षवर्धन बहुगुणा
11. चन्द्रशेखर पाण्डेय
12. हुकुमसिंह रावत
13. रतन सिंह चौहान
14. डॉ. (कु.) हर्षवन्ती बिष्ट
1. जे. सी. जोशी
राष्ट्रीय पर्वतरोही श्रीं जोशी का जन्म अल्मोड़ा मे हुआ था | वे पर्वतरोहण संस्थान उत्तरकाशी के प्रधानाचार्य भी रह चुके हैं | इन्हें अर्जुन पुरस्कार प्रदान किया गया था |
2. बछेन्द्रीपाल
इनका जन्म मई 1954 मे उत्तरकाशी हुआ था | 1982 मे इन्होंने इन्होंने उत्तरकाशी स्थित 'इन्स्टीटयूट ऑफ माउण्टेनियरिंग' से बेसिक एवं एडवान्स माउण्टेनियरिंग कोर्स पास किया और उसी वर्ष माउण्ट काला नाग चोटी (6,387 मी.) का सफल आरोहण किया। 1983 में ये गंगोत्री - | (6,672 मीटर), रुदगैरा (5,819 मीटर) और माणा चोटियों के प्री-एवरेस्ट अभियान दलों की सदस्य रहीं | 24 मई, 1984 को इन्होंने विश्व के सर्वोच्च पर्वत शिखर एवरेस्ट पर आरोहण कर देश की पहली और विश्व की पांचवी महिला होने का कीर्तिमान अर्जित किया |
अब तक इन्हें 25 से अधिक पुरस्कार मिल चुके है , जिनमें से कुछ मुख्य पुरस्कार इस प्रकार हैं- पदमश्री (1985), अर्जुन पुरस्कार (1986), इण्डियन माउण्टेनियरिंग फाउण्डेशन का ‘स्वर्ण पदक' (1984), उ.प्र. सरकार का 'नेशनल यूथ अवार्ड' (1985), गिनिज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्डस में नाम दर्ज (1990), उ.प्र. सरकार का ‘यश भारती’ पुरस्कार (1985), लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्डस, फर्स्ट नेशनल एडवेन्चर अवार्ड (असाधारण नेतृत्व के लिए) (1993), शिरोमणि इन्स्टीट्यूट, नई दिल्ली का 'महिला शिरोमणि' सम्मान (1997). गढ़वाल वि.वि. द्वारा डी.लिट की मानद उपाधि (1997), आदि।
3. हर्षमणि नौटियाल
उत्तरकाशी के इस अन्तर्राष्ट्रीय पर्वतारोही ने अब तक विश्व की 24 चोटियों पर सफल आरोहण कर लिया है।
4. चन्द्रप्रभा ऐतवाल
पिथौरागढ़ की ऐतवाल ने 1984 इण्डियन माउण्टेनियरिंग फाउण्डेशन द्वारा प्रायोजित एवरेस्ट अभियान की यह एक सदस्य रहीं। इन्होंने 28 बार हिमालय की दुर्गम चो4ियों पर चढ़ने में सफलता पाया। रिवर राफ्टिंग और ट्रेकिंग में भी इन्होंने कई कीर्तिमान बनाया है। अब तक इन्हें कई पुरस्कार मिल चुके हैं, यथा 1981 में अर्जुन एवार्ड, 1990 में भारत सरकार द्वारा 'पदमश्री', 1993 में 'रंग रत्न अवार्ड', 1993 में 'नेशनल एडवेन्चर अवार्ड व 2010 में तेनजिंग नोर्गे एडवेंचर अॅवार्ड आदि।
5. सुमन कुटियाल
पिथौरागढ़ जिले की इस अन्तर्राष्ट्रीय पर्वतारोही द्वारा 16 मई 1993 को एवरेस्ट पर आरोहण के लिए भारत सरकार द्वारा (1994 में) 'नेशनल एडवेंचर एवार्ड' से सम्मानित किया गया था।
6. लवराज सिंह धर्मसक्तू
बौना गांव, पिथौरागढ़ के इस अन्तर्राष्ट्रीय पर्वतरोही ने भारत/विश्व की कई चोटियों पर सफल आरोहण किया है। एवरेस्ट का इन्होंने 7 बार आरोहण किया है। इन्हें कई पुरस्कार मिल चुके हैं।
7. चंचल सिंह
पिथौरागढ़ के ये अंतर्राष्ट्रीय पर्वतारोही माउण्ट एवरेस्ट पर 2 बार फतह कर चुके हैं।
8. मोहन सिंह गुंज्याल
ये पिथौरागढ़ के निवासी हैं, जो कि पर्वतरोही और स्कीइंग खिलाड़ी हैं। स्कीइंग में अब तक 15स्वर्ण पदक पा चुके हैं।
9. हरीश चन्द्र सिंह रावत
इन्होंने 1965 में चौथे एवरेस्ट अभियान दल के सदस्य के रूप में लक्ष्य तक पहुंच कर पर्वतारोहण की दुनिया में एक कीर्तिमान स्थापित किया था। 1966 में इन्हें पदमश्री और अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
10. हर्षवर्धन बहुगुणा
इन्होंने दिसम्बर 1958 में सेना में कमीशन प्राप्त किये और 1971 में एवरेस्ट अभियान हेतु भारत-ब्रिटिश संयुक्त अभियान के एकमात्र भारतीय सदस्य के रूप में चयनित हुए थे |
11. चन्द्रशेखर पाण्डेय
अन्तर्राष्ट्रीय हिमालयन रन एण्ड ट्रैक स्पर्धा आयोजित कराने वाले ये पहले भारतीय हैं।
12. हुकुमसिंह रावत
सेना में रहते हुए ये 1963 से 66 तक लद्दाख के कई शिखरों पर चढ़ने में सफल रहे। 1991 में इनके नेतृत्व में पर्वतारोही दल कंचनजंघा पर आरोहण में सफल रहा। 1992 में इन्होंने छह सदस्यों को एवरेस्ट शिखर पर चढ़ाकर विजय पताका फहराई। पर्वतारोहण संस्मरणों पर लिखी इनकी 'कंचनजंघा' एक चर्चित पुस्तक है।
13. रतन सिंह चौहान
टिहरी जिले के ये राष्ट्रीय पर्वतारोही अब तक एवरेस्ट सहित 48 से अधिक चोटियों पर आरोहण कर चुके हैं।
14. डॉ. (कु.) हर्षवन्ती बिष्ट
इनका जन्म 1954 में पौढ़ी में हुआ था। 1981 में नन्दादेवी व 1984 में इन्होंने एवरेस्ट पर आरोहण करने वाले अभियान दल के सदस्य के रूप में भाग लिया था। 1981 में इन्हें 'अर्जुन पुरस्कार' मिला था।